Bihar Hooch Tragedy: शराबबंदी वाले बिहार में जहरीली शराब से टूटती सांसें, उजड़ता परिवार! कहां है सरकार ?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते रहे हैं कि महिलाओं की मांग पर शराबबंदी की गई, लेकिन इसुयापुर, अमनौर, मशरख और मढ़ौरा के कई गांवों की उन्हीं महिलाओं के आंखों के आंसू आज नहीं सुख रहे, जिन्होंने अपनों को खोया है.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: LatestLY)

छपरा, 15 दिसंबर: बिहार के सारण जिले के कई गांवों में जहरीली शराब ने ऐसा तांडव मचाया कि तीन दिनों के अंदर मौत की संख्या तो बढ़ती ही जा रही है, उन घरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है जहां से रोने और सिसकने की आवाजें भी आने जाने वालों को सोचने को मजबूर कर दे रही हैं. Bihar: जहरीली शराब पीने से मौत के मामले में थाना प्रभारी पर गिरी गाज, अब तक 126 गिरफ्तार

स्थानीय लोगों का कहना है कि आखिर हमारी क्या गलती थी, अगर अवैध शराब का व्यापार नहीं होता तो शराब बिकती कहां से है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते रहे हैं कि महिलाओं की मांग पर शराबबंदी की गई, लेकिन इसुयापुर, अमनौर, मशरख और मढ़ौरा के कई गांवों की उन्हीं महिलाओं के आंखों के आंसू आज नहीं सुख रहे, जिन्होंने अपनों को खोया है.

मढ़ौरा की रहने वाली बबीता देवी के परिवार के तीन सदस्यों की शराब के कारण मौत हो गई है. इन सबों ने एक समारोह में शराब पी थी, जिसके बाद एक-एक कर सबकी तबियत बिगड़ने लगी. अब बबीता देवी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. इन्हें चिंता है कि अब वह किसके सहारे आगे जीवन की गाड़ी खींचेगी.

आज जहरीली शराब ने किसी के सिर से पिता का साया छिन गया तो किसी के बूढ़े मां-बाप का इकलौता सहारा चला गया.

मृतक हरेंद्र मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. पत्नी शीला चीख-चीख कर कह रही कि शराब ने उसके पति की जान ले ली. अब उनके बच्चों की परवरिश कौन करेगा. वह तो यहां तक कह रही है कि शराबबंदी ने कई घरों को उजाड़ दिया.

लोग बताते हैं कि कहां है शराबबंदी. सभी गांव में शराब बिकती है. आज पुलिस गांव में शराब खोज रही, अगर पुलिस पहले ही अपने कर्तव्यों का पालन करती तो क्या आज ये शव देखने को मिलते.

स्थानीय लोगों का कहना है कि अब पुलिस सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर ले, छोटे पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर ले, तो क्या गारंटी है कि ऐसी घटनाएं अब नहीं होंगी.

लोगों का कहना है कि राज्य में शराबबंदी लागू हुए छह साल हो गए, लेकिन शराब कारोबार पर अंकुश क्यों नहीं लग पाया. इस कानून को लेकर समीक्षा भी खूब हुई, तो सियासत चमकाने का जरिया भी शराबबंदी बनी, लेकिन शराबबंदी कारगर नहीं हुई.

इन छह सालो में कई जिलों में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की घटनाएं सामने आ चुकी है.

भाजपा के नेता सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद 6 साल में 1000 से ज्यादा लोग जहरीली शराब पीने से मरे, 6 लाख लोग जेल भेजे गए और केवल शराब से जुड़े मामलों में हर माह 45 हजार से ज्यादा लोग गिरफ्तार किये जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि बिहार में रोजाना 10 हजार लीटर और महीने में 3 लाख लीटर शराब जब्त की गई. जब इतनी बड़ी मात्रा में शराब आ रही है, तब सरकार शराबबंदी लागू करने में अपनी विफलता स्वीकार करे.

उल्लेखनीय है कि सारण जिले में पिछले तीन दिनों में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई है, कई लोगों का अब भी इलाज चल रहा है.

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