
नई दिल्ली, 8 जून : कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बिहार को 'क्राइम कैपिटल' बताने वाले बयान ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है. जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने इसे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में 'संभावित हार' के खतरे को भांप कर दिया गया बयान बताया. केसी त्यागी ने कहा कि राहुल गांधी उस दौर को भूल गए, जब 1990 के दशक में बिहार में अपराध चरम पर था और फिरौती की रकम तक कथित तौर पर मुख्यमंत्री आवास से तय होती थी. राहुल गांधी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में संभावित हार को देखते हुए ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं, ताकि जनता का ध्यान भटकाया जा सके.
राहुल गांधी ने हाल ही में बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने दावा किया कि बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर हो चुकी है और इसे 'क्राइम कैपिटल' की संज्ञा दी. इसके जवाब में केसी त्यागी ने कहा, " राहुल गांधी के बयान आधारहीन हैं और यह उनकी हताशा को दर्शाते हैं. राहुल गांधी को बिहार की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करने से पहले 1990 के दशक के उस दौर को याद करना चाहिए, जब उनकी सहयोगी पार्टी के शासन में अपराधी बेखौफ थे." यह भी पढ़ें : जनता ने राहुल गांधी को खारिज कर दिया इसीलिए वह जनादेश को स्वीकार नहीं कर पा रहे: फडणवीस
कांग्रेस नेता के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कथित धांधली के आरोपों पर भी केसी त्यागी ने तंज कसा. उन्होंने कहा, "कांग्रेस के शासनकाल में भी हम चुनावों में अनियमितताओं के आरोप लगाते थे. अगर राहुल गांधी को धांधली का शक है, तो उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं के साथ चुनाव आयोग से मिलकर जवाब मांगना चाहिए, न कि बेबुनियाद बयानबाजी करनी चाहिए. जनादेश को नकारना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और यह हिंसा व तानाशाही की ओर इशारा करता है."
उन्होंने आपातकाल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला. केसी त्यागी ने कहा, "25 जून नजदीक है. 50 साल पहले राहुल गांधी की दादी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल दिया था. कांग्रेस को लोकतंत्र की बात करने से पहले अपनी यह विरासत याद करनी चाहिए." इस बीच राहुल गांधी के बयान को लेकर बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच बयानबाजी तेज हो गई है. जेडीयू और बीजेपी इसे कांग्रेस की हताशा करार दे रहे हैं. वहीं महागठबंधन का मानना है कि मौजूदा नीतीश सरकार कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर फेल है.