कर्नाटक HC का बड़ा फैसला, तलाक के बाद पिता के नहीं आने पर महिला को बच्चे के साथ ऑस्ट्रेलिया में बसने की इजाजत दी
ऑस्ट्रेलियाई कानून के मुताबिक, नाबालिग बच्चों को रहने के लिए वीजा की जरूरत होती है. इस संबंध में मां ने अपने बच्चे के लिए वीजा प्राप्त करने के संबंध में उसके पिता के माध्यम से स्थानीय अदालत में आवेदन किया था. लेकिन स्थानीय अदालत ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था, इसके बाद उसने हाईकोटई में आदेश की अपील की थी.
बेंगलुरू: कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने एक महिला को उसके बच्चे के साथ ऑस्ट्रेलिया (Australia) में बसने की इजाजत दे दी है, क्योंकि तलाक (Divorce) के बाद आठ साल तक पिता अपने बच्चे को देखने नहीं आया. न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना (M Nagaprasanna) की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में मां द्वारा बच्चे के साथ ऑस्ट्रेलिया में स्थायी रूप से बसने की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है. इस संबंध में पिता भी अदालत (Court) की कार्यवाही में शामिल होने नहीं आया.
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि तलाक के बाद वह अपने दूसरे पति के साथ ऑस्ट्रेलिया में बस गई थी. उसने मद्दुर में स्थानीय सिविल कोर्ट के उस आदेश पर सवाल उठाया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया में उसके साथ बसने के लिए उसके बच्चे को वीजा दिलाने के उसके अनुरोध को रद्द कर दिया गया था. पीठ ने कहा कि पिता तलाक लेने के बाद आठ साल तक बच्चे को देखने नहीं आया. वीजा संबंधी पूछताछ में वह शामिल नहीं हुआ. यह सब दर्शाता है कि उसे भविष्य में बच्चे की देखभाल करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. Tripura Assembly Elections 2023: बीजेपी ने जारी की 48 उम्मीदवारों की पहली सूची, CM माणिक साहा 'टाउन बार्दोवाली' सीट से लड़ेंगे चुनाव
रिपोर्ट के अनुसार, दोनों ने साल 2006 में शादी की और उनका एक बेटा हुआ. उन्होंने तलाक के लिए अर्जी दी. कोर्ट ने नाबालिग बच्चे की कस्टडी मां को सौंपी थी. कोर्ट के माध्यम से दोनों का तलाक हो गया था और कोर्ट ने पिता को महीने में एक बार बच्चे से मिलने की इजाजत दे दी थी.
लेकिन, पिता अपने बेटे से मिलने नहीं आया. मां ने दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली और अपने बच्चे के साथ ऑस्ट्रेलिया में बस गई. निचली अदालत ने बच्चे के पिता को दी गई अनुमति वापस ले ली थी क्योंकि वह अपने बच्चे को देखने या अदालती कार्यवाही में शामिल होने के लिए नहीं आया था.
ऑस्ट्रेलियाई कानून के मुताबिक, नाबालिग बच्चों को रहने के लिए वीजा की जरूरत होती है. इस संबंध में मां ने अपने बच्चे के लिए वीजा प्राप्त करने के संबंध में उसके पिता के माध्यम से स्थानीय अदालत में आवेदन किया था. लेकिन स्थानीय अदालत ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था, इसके बाद उसने हाईकोटई में आदेश की अपील की थी.