नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली करारी हार के बाद बीजेपी हार के कारणों को खोज रही है. इस बीच इन प्रमुख राज्यों में पार्टी को मिली हार को लेकर बीजेपी सांसद उदित राज (BJP MP Udit Raj) का एक बयान आया है. उनका कहना है कि पार्टी की हार की बड़ी वजह आदिवासियों और दलितों में नाराजगी है. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का तारीफ भी किया.
उत्तर पश्चिम दिल्ली से बीजेपी सांसद उदित राज ने यह बयान एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में देते हुए कहा कि, ''दलितों और आदिवासियों के यहां जाकर खाना खाने, उनकी मूर्तियां लगाने से अब वोट बैंक नहीं तैयार होगा. अब जनता समझ गई है कि अगर उनके यहां नेता खाना खाने आते हैं तो उन्हें दलित होने या फिर उन्हें नीच समझा जाता है. इसलिए नेता घर पर खाना खाने आते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का आप उदाहरण ले सकतें है उन्होंने इस बार किसी के यहां खाना खाने नहीं गये थे. देखिए उनकी पार्टी तीन राज्यों में जीत हासिल की. यह भी पढ़े: 5 राज्यों में हार के बाद पीएम मोदी का प्रयागराज दौरा, 2019 के लिए देंगे संदेश
दलित और आदिवासियों के लिए काम करना होगा
एससी-एसटी एक्ट के पक्षधर रहे उदित राज ने अपने बयान में कहा, ''दलितों और आदिवासियों के विकास कार्य के लिये जो लोग लगाये गये हैं वो ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. उन जगहों पर ऐसे लोगों को बैठाना चाहिए जो इनकी समस्याओं को समझ सकें. इस मुद्दे पर मैं पहले से अपनी पार्टी के नेताओं से कहता आ रहा हूं कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को जीत हासिल करना है तो उसे आदिवासी और दलित समुदय के लिए ख़ास तौर से काम करना होगा. यह भी पढ़े: बीजेपी 5 राज्यों में चुनाव क्या हारी, UP में लग गए ‘मोदी हटाओ-योगी लाओ’ के पोस्टर
बता दें कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछले 15 साल से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी. वहीं राजस्थान में बीजेपी ने 5 साल तक शासन चलाया. केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी इन तीनों राज्यों में पार्टी जीत हासिल नहीं कर सकती. बीजेपी सांसद उदित राज के बयान से लगता है कि एक समय था पार्टी के नेता पार्टी और सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठाते थे. लेकिन इन तीन राज्यों में मिली करारी हार के बाद हर नेता पार्टी और सरकार को नसीहत दे रहा है कि अब बयान बाजी और जुमले से जीत हासिल नहीं होने वाली है. बल्कि जमीनी स्तर पर दलित हो या फिर पिछड़ा वर्ग हर किसी के लिए काम करना होगा.