बैंक जल्द ही अपने नो योर कस्टमर (KYC) फॉर्म्स में आपसे आपका धर्म पूछ सकते हैं. दरअसल नो योर कस्टमर (KYC) में एक नया कॉलम जुड़ सकता है. जिसमें जमाकर्ता या ग्राहक को अपने धर्म का उल्लेख करना होगा. दरअसल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित अप्रवासी लोगों को बैंक खाता खोलने या भारत में संपत्ति खरीदने के लिए दी गई अनुमति के तहत यह किया जा रहा है. नागरिकता संशोधन कानून की तरह ही, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 2018 में जारी फेमा के संशोधन में उन प्रवासियों तक शामिल किया गया है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) से आते हैं और लॉन्ग-टर्म वीजा रखते हैं.
संशोधित नियमों में मुसलमानों को छोड़कर चुनिंदा धार्मिक अल्पसंख्यकों को NRO अकाउंट खोलने तथा संपत्ति खरीदने की सुविधा देने के लिए किया गया है. विदेशी मुद्रा विनिमयन अधिनियम (FEMA) के नियमों में बदलाव की वजह से अब बैंक यह कदम उठा रहे हैं. लॉन्ग टर्म वीजा रखने वाले ये लोग भारत में संपत्ति खरीद सकते हैं और बैंक खाता में खोल सकते हैं.
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भारत में रह रहे लॉन्ग टर्म वीजा रखने वाले बांग्लादेश या पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) के लोगों को केवल एक NRO अकाउंट खोलने की मंजूरी दी गई है. जब ये लोग नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रवाधानों के तहत भारत के नागरिक हो जाएंगे तो इनके एनआरओ अकाउंट को रेजिडेंट अकाउंट में बदल दिया जाएगा. संशोधित नियमों में नास्तिकों, मुसलमान प्रवासियों तथा म्यांमार, श्रीलंका तथा तिब्बत के प्रवासियों को नहीं रखा गया है.
विदेशी मुद्रा विनिमयन अधिनियम (FEMA) के नियमों मे यह परिवर्तन नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 की तर्ज पर हैं जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है. इन परिवर्तनों से पहले, एक विदेशी नागरिक, अपने धर्म और देश के बावजूद, एफए रेजिडेंट अकाउंट को लंबे समय तक और एनआरओ खातों को छह महीने की छोटी अवधि के लिए खोलने की अनुमति दी गई थी.