अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट 28 सितंबर को नमाज पढ़ने पर सुना सकता है फैसला

सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला देगा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का आतंरिक हिस्सा है या नहीं. दरअसल, मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई है कि 1994 में इस्माइल फारुकी केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा है कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.

अयोध्या विवाद (Photo Credit- YouTube)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में चल रहे राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद में 28 सितंबर को अहम फैसल आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला देगा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का आतंरिक हिस्सा है या नहीं. दरअसल, मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई है कि 1994 में इस्माइल फारुकी केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा है कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने  राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया गया था, ताकि हिंदू धर्म के लोग वहां पूजा कर सकें.

इससे पहले 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा कि संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है या नहीं. दरअसल सुप्रीम कोर्ट टाइटल सूट से पहले अब इस पहलू पर सुनवाई कर रहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नही. यह भी पढ़ें- अयोध्या में राम मंदिर बनवाने के लिए VHP जल्द शुरू करेगी आंदोलन, 5 अक्टूबर को बुलाई 36 प्रमुख संतों की बैठक

इस सुनवाई में कोर्ट ने ये कहा था कि पहले ये तय होगा कि संविधान पीठ के 1994 के उस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न पार्ट नहीं है. इसके बाद ही टाइटल सूट पर विचार होगा.

2010 में लिया गया था यह फैसला 

30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह फैसला सुनाया था कि अयोध्या की विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जाए. एक हिस्सा रामलला के लिए, दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुसलमानों को दिया जाए. यह भी पढ़ें- यूपी से बीजेपी विधायक बोले-अयोध्या में राम मंदिर बनकर रहेगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट...

शिया वक्फ बोर्ड ने मंदिर निर्माण पर भरी थी हामी 

गौरतलब है कि विवादित जमीन मामले की सुनवाई के दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने अदालत में अगस्त 2017 में कहा था कि जमीन के जिस हिस्से में मस्जिद थी वहां राम मंदिर बनवाया जा सकता है. इसके बाद नवंबर 2017 में शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि राम मंदिर अयोध्या में और मस्जिद लखनऊ में बना लेना चाहिए. यह भी पढ़ें- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर रामविलास वेदांति का बड़ा बयान, लोकसभा चुनाव से पहले शुरू होगा निर्माण

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