राफेल डील: सुप्रीम कोर्ट में सरकार बोली- रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए दस्तावेज, जांच जारी
देश की शीर्ष अदालत बुधवार को राफेल डील मामले में दिए गए अपने फैसले के पुनर्विचार की तीन याचिकाओं पर विशेष सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के दौरान कहा कि वह ऐसे किसी भी पूरक हलफनामों अथवा अन्य दस्तावेजों पर ध्यान नहीं देगी जो उसके समक्ष दखिल नहीं किए गए हैं.
नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत बुधवार को राफेल डील (Rafale Deal) मामले में दिए गए अपने फैसले के पुनर्विचार की तीन याचिकाओं पर विशेष सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के दौरान कहा कि वह ऐसे किसी भी पूरक हलफनामों अथवा अन्य दस्तावेजों पर ध्यान नहीं देगी जो उसके समक्ष दखिल नहीं किए गए हैं. इस बीच सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि रक्षा मंत्रालय से राफेल डील से जुड़े कुछ दस्तावेज गायब हो गए है. जिसकी जांच की जा रही है.
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि याचिकाकर्ता और अधिवक्ता प्रशांत भूषण जिन दस्तावेजों पर भरोसा कर रहे हैं, वे रक्षा मंत्रालय से चुराए गए हैं. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राफेल सौदे पर जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया है वे गोपनीय हैं और आधिकारिक गोपनीयता कानून का उल्लंघन हैं. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राफेल पर ‘द हिंदू’ की आज की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को प्रभावित करने के समान है जो अपने आप में अदालत की अवमानना है.
अटॉर्नी जनरल ने राफेल पर पुनर्विचार याचिका और गलत बयानी संबधी आवेदन खारिज करने का अनुरोध करते हुये कहा कि ये चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित है. इससे जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने वाला सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और अदालत की अवमानना का दोषी है.
जिसपर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अटॉर्नी जनरल से भोजनावकाश के बाद यह बताने को कहा कि राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों के चोरी होने पर क्या कार्रवाई की गई? इस पर अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि जांच की जा रही है.
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उधर, प्रशांत भूषण ने न्यायालय में कहा जब प्राथमिकी दायर करने और जांच के लिए याचिका दाखिल की गईं तब राफेल पर महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाया गया. अगर तथ्यों को दबाया नहीं गया होता तो सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदा मामले में प्राथमीकि और जांच संबंधी याचिका को खारिज नहीं किया होता.
वहीं प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रशांत भूषण को सुनने का यह अर्थ नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट राफेल सौदे के दस्तावेजों को रिकॉर्ड में ले रहा है.
बीते 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 58,000 करोड़ रुपये के सौदे को क्लीनचिट दे दी और कहा था कि फ्रांसीसी विमान की खरीदी में किसी तरह की खामी नहीं है.