अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम का शेयर 54 फीसदी तक टूटा, दिवालिया प्रक्रिया में जाने की घोषणा का असर
आरकॉम ने संपत्तियों की बिक्री कर कर्ज चुकाने में असफल रहने पर एक फरवरी 2019 को खुद ही दिवालिया प्रक्रिया में जाने की सूचना दी थी.
अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के शेयर में सोमवार को 54 फीसदी तक लुढ़क गए. कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से आरकॉम ने शुक्रवार को कहा था कि वह दिवालिया (Bankruptcy) आवेदन करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) जा रही है. कंपनी के इस बयान के बाद सोमवार को उसके शेयर औंधे मुंह गिर गए. आरकॉम का शेयर सोमवार को एनएसई पर 5.30 रुपये के सबसे निचले स्तर पर फिसल गया. वहीं, बीएसई पर शेयर 48 फीसदी गिरावट के साथ 6 रुपये पर पहुंच गया.
हालांकि, निचले स्तरों से शेयर में रिकवरी आई लेकिन फिर भी 35 फीसदी नुकसान के साथ बंद हुआ. इसके अलावा अनिल अंबानी की दूसरी कंपनियों के शेयरों में भी सोमवार को तेज गिरावट दर्ज की गई. रिलायंस पावर 29.22 फीसदी टूट गया. रिलायंस कैपिटल में 19.37 फीसदी नुकसान दर्ज किया गया. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर 16.51 फीसदी और रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग में 13.70 फीसदी गिरावट आ गई. यह भी पढ़ें- विजय माल्या को करारा झटका, ब्रिटेन के गृह मंत्री ने भारत भेजे जाने का आदेश दिया
गौरतलब है कि आरकॉम ने संपत्तियों की बिक्री कर कर्ज चुकाने में असफल रहने पर एक फरवरी 2019 को खुद ही दिवालिया प्रक्रिया में जाने की सूचना दी थी. इस बीच, दूरसंचार न्यायाधिकरण टीडीसैट ने आरकॉम को अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन पर शुल्क लगाने के सरकार के फैसले को खारिज करते हुए दूरसंचार विभाग को कंपनी को 2,000 करोड़ रुपये लौटाने का निर्देश दिया है. अनिल अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी ने सोमवार को यह जानकारी दी. आरकॉम ने बयान में कहा कि टीडीसैट ने व्यवस्था दी है कि किसी भी दूरसंचार ऑपरेटर जिसके पास सीडीएमए बैंड में पांच मेगाहर्ट्ज और जीएसएम बैंड में 6.2 मेगाहर्ट्ज तक स्पेक्ट्रम है उन्हें एकबारगी स्पेक्ट्रम शुल्क (ओटीएससी) की छूट है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2012 में फैसला किया था कि 6.2 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम के लिए ऑपरेटरों को पिछली तारीख जुलाई, 2008 से एक जनवरी, 2013 के लिए भुगतान करना होगा. वहीं 4.4 मेगाहर्ट्ज से अधिक के स्पेक्ट्रम के लिए उन्हें एक जनवरी, 2013 से अपने लाइसेंस की शेष अवधि के लिए भुगतान करना होगा. इसी के साथ सरकार ने 800 मेगाहर्ट्ज बैंड में 2.5 मेगाहर्ट्ज से अधिक के सीडीएमए स्पेक्ट्रम पर शुल्क लगाने का फैसला किया था.
भाषा इनपुट