जयपुर: किस तरह इंसान अफवाह से जानवर बन सकता है इसका अंदाजा हाल ही में हुए अलवर हिंसा से लगाया जा सकता है. जहां कथित गौरक्षकों की भीड़ ने पीट-पीट कर रकबर खान को मार डाला था. उच्चस्तरीय जांच टीम ने इस अंधी भीड़ द्वारा किए गए घिनौने अपराध पर चौकानेवाला खुलासा किया है. जांच में पता चला है कि जिस शख्स को भीड़ ने मार डाला उसने गाय खरीदी ही नहीं थी.
रकबर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ़ हो गया है कि रकबर की मौत में पुलिस का कोई हाथ नहीं है. रकबर की मौत पुलिस हिरासत में नहीं हुई. रकबर के शरीर पर जो चोट के निशान मिले थे वो पोस्टमार्टम के 12 घंटे पहले की है. और पोस्टमार्टम से 12 घंटे पहले हिंसा की जगह पर पुलिस पहुंची ही नहीं थी इसका मतलब है कि रकबर की मौत भीड़ की पिटाई से लगी चोटों से ही हुई है.
इससे पहले घटना में जीवित बचे असलम खान का बयान पुलिस जांच में गलत पाया गया. असलम रकबर खान का दोस्त है और घटना के वक्त उसके साथ ही था. दोनों ने जिन दो परिवारों से गाय खरीदने की बात बताई थी, उनमें से एक के पास तो गाय है ही नहीं है. साथ ही बरामद की गईं दोनों गाय दुधारू भी नहीं है.
असलम ने पहले अपने बयान में कहा था, “घटनावाली रात मैं व रकबर दोनों दो गाय खानपुर से लेकर केलगांव आ रहे थे. दोनों गायों के साथ छोटे बछड़े थे. गांव लालावंडी से रोड से हरियाणा की तरफ़ आ रहे थे. सड़क पर एक बाइक आ रही थी. बाइक की आवाज़ से गायें उछल गईं और दोनों गायें खेत में भाग गईं.”
उसने अपने बयान में आगे कहा था, “इसी दौरान कुछ लोग हम दोनों को पकड़ने लगे मुझे पकड़ लिया व रकबर को खेत में गिरा दिया था. मैं उनसे छुप कर निकला. रकबर के साथ लाठी डंडे से मारपीट करना शुरू किया. मैंने मारपीट की आवाज़ को सुना था मैं वहां से भाग गया.
राजस्थान के अलवर जिले में संदिग्ध गोरक्षकों ने 28 वर्षीय रकबर की पीट-पीटकर हत्या कर दी. पुलिस के मुताबिक इस घटना में कुछ ग्रामीणों ने अकबर खान नामक व्यक्ति की गो तस्कर होने के संदेह में पकड़कर उसकी बेरहमी से पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई. वहीं आरोप है की पुलिस ने जानबूझकर अलवर को अस्पताल ले जाने में देरी की जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.