इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला- दोष साबित होने से पहले अधिकारियों का ट्रांसफर करना अवैध

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा अधिकारियों को बतौर दंड तबादला करने को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कानपुर के 9 आबकारी निरीक्षकों के तबादले को गलत बताते हुए रद्द कर दिया है. दरअसल कानपुर में जहरीली शराब पीने से 9 लोगों की मौत हो गई थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit: PTI)

लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा अधिकारियों को बतौर दंड तबादला करने को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कानपुर के 9 आबकारी (एक्साइज) निरीक्षकों के तबादले को गलत बताते हुए रद्द कर दिया है. दरअसल कानपुर में जहरीली शराब पीने से 9 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए लापरवाही का आरोप लगाकर आबकारी निरीक्षकों का ट्रांसफर कर दिया.

जस्टिस बी अमित स्थालेकर तथा जस्टिस जयंत बनर्जी की पीठ ने सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बिना दोषी पाए दण्ड स्वरूप किया गया ट्रांसफर अवैध है. घटना में लापरवाही की जबाबदेही तय किए बगैर आबकारी निरीक्षकों को दण्ड स्वरूप स्थानांतरित कर दिया गया. ऐसे तबादले को जनहित या प्रशासनिक नहीं माना जा सकता.

साथ ही कोर्ट ने कहा कि जब जांच रिपोर्ट में इन्हें दोषी नहीं बताया गया है तो ट्रांसफर दंड स्वरूप नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही कोर्ट ने सभी के ट्रांसफर आदेश को विधिविरुद्ध तथा अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया.

बता दें कि इसी साल मई महीने में एक लोकल ब्रांड की शराब कानपुर नगर और कानपुर देहात के कई लोगों के लिए जानलेवा साबित हुए. जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई. जिसके बाद प्रशासन ने दंड के तौर पर 9 आबकारी निरीक्षकों तबादला कर दिया. दरअसल प्रशासन ने इस घटना के पीछे आबकारी विभाग के कर्मचारियों और पुलिस की मिलीभगत को जिम्मेदार माना था.

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