नई दिल्ली. राफेल डील पर एक तरफ जहां विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमला कर रही है. वहीं इस मामले को लेकर वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने इसे एक बेहतर विमान सौदा करार दिया है. बीएस धनोआ ने कहा कि सरकार ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद कर एक बेहतरीन फैसला लिया है. उन्होंने राफेल को गेमचेंजर बताया और कहा हमें अच्छा पैकेज मिला, हमें राफेल सौदे में कई फायदे मिले.
बीएस धनोवा ने कहा कि दसॉल्ट को ही ऑफसेट साझेदार का चयन करना था. इसमें सरकार और वायु सेना की कोई भूमिका नहीं थी. ऐसे में सौदे को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं वे गलत है. दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राफेल की खासियत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राफेल अच्छा विमान है. राफेल जब उपमहाद्वीप में आएगा तो यह बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा.
Govt took a bold step & bought 36 Rafale aircraft. A high performance, high-tech aircraft has been to the given to the air force to offset the capability of the adversary: Air Chief Marshal BS Dhanoa pic.twitter.com/rDfayyqiAs
— ANI (@ANI) October 3, 2018
We had reached an impasse. We had 3 options, first was either to wait for something to happen, withdraw RFP or do an emergency purchase. We did an emergency purchase. Both Rafale and S-400 deal is a booster deal for air force: Air Chief Marshal BS Dhanoa on Rafale deal pic.twitter.com/fuOHvwOwVk
— ANI (@ANI) October 3, 2018
There has been delay in delivery schedule in contracts already executed to HAL. There is a 3 yrs delay in delivery of Sukhoi-30, 6 years delay in Jaguar, 5 year delay in LCA, and 2 year delay in delivery of Mirage 2000 upgrade: Air Chief Marshal BS Dhanoa pic.twitter.com/uychCsGV6q
— ANI (@ANI) October 3, 2018
गौरतलब हो कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष सरकार पर राफेल सौदे में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहा है. बीजेपी ने इन सभी आरोपों को झूठा बताया है. राफेल विवाद में दिलचस्प मोड़ पिछले महीने तब आया जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से कहा गया कि फ्रांस को दसॉल्ट के वास्ते भारतीय साझेदार चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं दिया गया था. भारत सरकार ने फ्रेंच एयरोस्पेस कंपनी के लिए ऑफसेट साझेदार के रूप में रिलायंस के नाम का प्रस्ताव रखा था.