मुंबई, 13 मार्च: आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले महाराष्ट्र में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) प्रमुख चुनावी शहरों में कई रैलियां करने की योजना बना रहा है. पार्टी नेताओं ने सोमवार को यह जानकारी दी. कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना-यूबीटी के शीर्ष नेता एकजुट होकर महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के संकट जैसे ज्वलंत मुद्दों पर बोलने के लिए जनता तक पहुंचेंगे कि कैसे एकनाथ शिंदे और अन्य ने जून 2022 में एमवीए शासन को गिराने के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ सांठगांठ की थी.
यह कदम एमवीए के शीर्ष अधिकारियों के बीच गहन विचार-विमर्श के बाद आया है, जिसने पुणे में हाल ही में हुए कसबा पेठ उपचुनाव में बड़ी सफलता हासिल की.कसबा पेठ 3 दशक से भाजपा का गढ़ माना जाता है. प्रस्तावित रैलियों में से पहली रैली 2 अप्रैल को छत्रपति संभाजीनगर में और उसके बाद 16 अप्रैल को नागपुर में होगी. 1 मई को महाराष्ट्र दिवस उत्सव के साथ मुंबई में, 14 मई को पुणे में, 28 मई को कोल्हापुर में और 3 जून को नासिक में एक बड़ी सार्वजनिक रैली की योजना है. यह भी पढ़े: Maharashtra Assembly Election 2024: नसीम खान का बड़ा बयान, कहा- महाराष्ट्र में 2024 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार होगी
एमवीए नेताओं ने कहा कि तीनों पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को आपसी सम्मान के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करेंगी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और सत्तारूढ़ सहयोगी भाजपा को चुनाव में जाने वाली विभिन्न सिविल बॉडीज को उखाड़ फेंकने के लिए ताकत का प्रदर्शन करेंगी.
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना-यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और अन्य ने पुणे में जीत का उदाहरण दिया है कि अगर विपक्ष एकजुट होकर काम करता है तो भाजपा और उसके सहयोगियों को कैसे हराया जा सकता है.
क्षेत्रीय मुख्यालयों में इन आगामी रैलियों के बाद, तीनों पार्टियां 2023 के मध्य से जिला स्तर पर और राज्य के दूरदराज के हिस्सों में इसी तरह की बैठकें आयोजित करने की योजना बनाएंगी, जिससे 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रक्रिया को गति मिल सके.
एमवीए नेताओं जैसे ठाकरे, वरिष्ठ पवार, विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार, परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, राकांपा के राज्य प्रमुख जयंत पाटिल, पटोले, छगन भुजबल, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, अशोक चव्हाण और अन्य ने पिछले कुछ दिनों में इन पहलुओं पर विचार-विमर्श किया है.