एडल्टरी को अपराध बनाए रखना चाहती है सेना, रक्षा मंत्रालय के सामने उठाया मुद्दा

एडल्टरी को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के फैसले के नाराज सेना ने मामले को रक्षा मंत्रालय के सामने उठाया है. अधिकारियों का कहना है, हम जल्द ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. सेना की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सेना को बाहर रखा जाए.

भारतीय सेना (Photo Credits : Twitter)

साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में स्त्री-पुरुष के विवाहेतर संबंधों पर अहम फैसला सुनाते हुए आईपीसी की धारा 497 को खत्म कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सेना खुश नहीं है. एडल्टरी (Adultery) को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने के फैसले के नाराज सेना ने मामले को रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) के सामने उठाया है. अधिकारियों का कहना है, हम जल्द ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. सेना की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सेना को बाहर रखा जाए. धारा 497 खत्म होने के बाद सेना अपनी रैंकों के बीच अनुशासन को लेकर चिंतित है. देश की तीनों सेनाओं में अपने साथी अधिकारी की पत्नी के साथ किसी तरह का संबंध बनाना बेहद गंभीर अपराध माना जाता है.

मिलिट्री कोड (Military Codes) में एडल्टरी को बेहद बड़े अपराध की श्रेणी में रखा गया है. सेना में इस अपराध के लिए मौत तक की सजा दी जा सकती है, लेकिन सप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद धारा 497 को खत्म कर दिया गया है और अब इसे अपराध नहीं माना जाता है. सेना चाहती है कि उनके लिए सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश मान्य न हो, सेना के हर व्यक्ति को इससे बाहर रखा जाए.

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सेना को अनुशासन की चिंता

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'धारा 497 को खत्म होने से कुछ मुश्किल परिस्थितियां पैदा हो गई हैं.' अब सेना एडल्टरी पर इस तरह के फैसले नहीं ले सकती है. सेना के जवान और अधिकारी महीनों-महीनों अपने घर से दूर रहते है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सेना का अनुशासन बिगड़ सकता है.

बता दें कि 27 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से एडल्टरी से संबंधित दंडात्मक प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए उसे मनमाना और महिलाओं की व्यक्तिकता को ठेस पहुंचाने वाला बताते हुए खत्म कर दिया था. स्त्री-पुरुष के विवाहेतर संबंधों पर अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपराध मानने से इनकार करते हुए आईपीसी की धारा 497 को गैरकानून बताया.

क्या थी आईपीसी की धारा 497

खत्म की गई धारा 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्‍य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है. लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है. इस सेक्‍शन में विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्‍नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है. इस मामले में शिकायतकर्ता विवाहित महिला से संबंध बनाने वाले पुरुष की पत्‍नी ही शिकायत दर्ज करा सकती है. इस अपराध के लिए पुरुष को पांच साल की कैद या जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान था. अब यह अपराध की श्रेणी में नहीं रहा.

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