Aadhaar Case: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, आधार सुरक्षित, स्कूलों में दाखिले के लिए जरूरी नहीं
बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आज कई बड़े फैसलों का दिन रहा. देश की सबसे बड़ी अदालत में आज आधार की वैधानिकता पर फैसला सुनाते चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि आधार का डुप्लीकेट बनाना संभव नहीं, साथ ही समाज के हाशिये वाले वर्ग को आधार से ताकत है. जस्टिस सिकरी ने कहा आधार कार्ड आम आदमी की पहचान है. उन्होंने कहा कि आधार का डुप्लीकेट बनाना संभव नहीं, साथ ही समाज के हाशिये वाले वर्ग को आधार से ताकत. आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि आधार कार्ड से समाज के बिना पढ़े-लिखे लोगों को पहचान मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई मोबाइल और निजी कंपनी आधार नहीं मांग सकती. ऑथेंटिकेशन डाटा सिर्फ 6 महीने तक ही रखा जा सकता है. अदालत ने कहा कि बच्चों का आधार बनाने के लिए अभिभावक की आज्ञा लेना जरूरी, बड़े होने के बाद वो खुद तय करें. स्कूल दाखिले के लिए आधार ज़रूरी नहीं है.
जस्टिस ए के सीकरी, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और अपनी ओर से फैसला सुनाते हुये कहा कि आधार के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के आरोप संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर आधारित हैं, जिनके कारण राष्ट्र शासकीय निगरानी वाले राज्य में बदल जाएगा. अदालत ने कहा कि आधार के लिए यूआईडीएआई ने न्यूनतम जनांकीकीय और बायोमिट्रिक आंकड़े एकत्र किए हैं.
जस्टिस ए के सीकरी, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और अपनी ओर से फैसला सुनाते हुये कहा कि आधार के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के आरोप संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर आधारित हैं, जिनके कारण राष्ट्र शासकीय निगरानी वाले राज्य में बदल जाएगा. अदालत ने कहा कि आधार के लिए यूआईडीएआई ने न्यूनतम जनांकीकीय और बायोमिट्रिक आंकड़े एकत्र किए हैं.
बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक सभी केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक लगाई गई है. जिसमें मोबाइल सिम और बैंक खाते भी शामिल हैं.