No Unemployment in This Village: मेरठ का एक ऐसा गांव, जहां एक भी व्यक्ति बेरोजगार नहीं , कोरोना महामारी भी नहीं कर सकी रोजगार को प्रभावित
कोरोना महामारी के इस दौर में जहां कई लोगों के सामने रोजगार का प्रश्न खड़ा हो गया है, वहीं मेरठ का एक गांव ऐसा भी है, जहां कोरोना के कारण रोजगार पर कोई आंच नहीं आई है. इस गांव का एक भी शख्स बेरोजगार नहीं है. मेरठ से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर सिसौला कलां गांव में एक भी युवा बेरोजगार नहीं है. हर हाथ में यहां पर काम है.
No Unemployment in This Village: कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के इस दौर में जहां कई लोगों के सामने रोजगार (Employment) का प्रश्न खड़ा हो गया है, वहीं मेरठ (Meerut) का एक गांव ऐसा भी है, जहां कोरोना के कारण रोजगार पर कोई आंच नहीं आई है. इस गांव का एक भी शख्स बेरोजगार नहीं है. मेरठ से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर सिसौला कलां गांव में एक भी युवा बेरोजगार नहीं है. हर हाथ में यहां पर काम है. इस गांव को खेलन गांव भी कहा जाता है क्योंकि यहां खेल का हर सामान बनता है.
विश्व पटल पर पहचान बना रही खेलन नगरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों से आत्मनिर्भर बनने की अपील की थी और उनका सपना भी है कि भारत आत्मनिर्भर बने. उनके सपने को साकार करता सिसौला कलां गांव खेल के उपकरणों के जरिए विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बना रहा है.
हर घर में बनते हैं फुटबाल
मेरठ के इस गांव में फुटबाल बनाने का काम अपने हाथों से किया जाता है. इस गांव में करीब 3 हजार परिवार रहते हैं. यहां हर घर में फुटबाल बनाने का काम होता है. इस गांव की हर महिला और पुरुष आत्मनिर्भर है, जो फुटबाल पर सिलाई करने के साथ-साथ फुटबाल बनाने में बाकी के काम करते हैं. व्यवसायी कपिल कुमार ने बताया कि यहां पर हम करीब 25 वर्ष से काम कर रहे हैं. मेरठ से कच्चा माल लेकर तैयार करते हैं. पूरे गांव में हाथ से सिलाई होती है. यहीं पर तैयार सामान आर्डर के अनुसार अलग-अलग जगह सप्लाई किया जाता है. दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत कई जगह यहां से खेल के उपकरण सप्लाई किए जाते हैं. यह भी पढ़ें: Garib Kalyan Rojgar Abhiyaan: प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने में उत्तर प्रदेश अव्वल
महिलाओं की घर बैठे हो रही आमदनी
स्वाति ने बताया, "हम अपने घर में ही फुटबाल का काम करते हैं. इससे हमें बहुत आमदनी होती है. घर का काम निपटा कर हम यह काम करते हैं." गृहणी लक्ष्मी ने बताया कि तमाम महिलाएं फुटबाल का काम करते हैं. इससे अच्छी आमदनी होती है. हमें कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. हमें घर पर ही सही आमदनी हो जाती है.
जल्द बनेगा लेदर एंड स्पोर्ट्स गुड्स क्लस्टर, प्रशिक्षित होंगे कारीगर
मेरठ के उद्योग उपायुक्त वी.के. कौशल का कहना है कि मेरठ के जानी ब्लाॅक में बड़े स्तर पर फुटबाल बनाने का काम किया जा रहा है. इसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने 15 करोड़ की लागत से इस ब्लाॅक में लेदर एंड स्पोर्ट्स गुड्स का क्लस्टर बनाने को हरी झण्डी दे दी है. जोकि, जल्दी ही बनेगा. इसके बनने से क्लस्टर में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की आधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी.
कारीगर वहां जाकर फुटबाल की स्टिचिंग आदि कराकर बाकी फिनशिंग अपने हाथ से करेंगे. इससे फुटबाल का मानक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का हो जाएगा. साथ ही टेस्टिंग और ट्रेनिंग होने से कार्यकुशलता और निखरेगी. कारीगरों को अच्छी ट्रेनिंग देकर अन्तर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाली फुटबाल बनाई जाएगी, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.