नयी दिल्ली, 27 जुलाई: केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद मे बताया कि पिछले पांच साल में देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में कुल 604 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है और इनमें 458 न्यायाधीश सामान्य वर्ग से हैं. राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2018 से जुलाई 2023 तक उच्च न्यायालयों में 604 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है. इनमें से 458 सामान्य वर्ग से, 18 अनुसूचित जाति, नौ अनुसूचित जनजाति, 72 अन्य पिछड़ा वर्ग से और 34 अल्पसंख्यक समुदाय से हैं.’’ उन्होंने बताया कि हालांकि, 13 न्यायाधीशों की जाति के बारे में कोई जानकारी नहीं है. Cinematograph Bill 2023: फिल्म इंडस्ट्री को पायरेसी से मिलेगी राहत, राज्यसभा में सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक पास
मेघवाल ने कहा कि सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय सामाजिक विविधता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने बताया कि सरकार ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से अनुरोध किया है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्तावों को भेजते समय अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध रखने वाले और उपयुक्त महिला अभ्यर्थियों पर सम्यकतापूर्वक विचार किया जाए.
उच्च अदालतों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाए जाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर मेघवाल ने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 और अनुच्छेद 224 के अधीन की जाती है जिनमें किसी जाति या वर्ग के लिए किसी आरक्षण का उपबंध नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि सरकार उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में सामाजिक भिन्नता के प्रति प्रतिबद्ध है.’’
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