पुण्यतिथि विशेष: भारत के पहले वैज्ञानिक सीवी रमन से जुड़ी 10 रोचक बातें
सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को हुआ था और उनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमन है. उन्हें साल 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने आज ही के दिन 21 नवंबर 1970 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.
पुण्यतिथि विशेष: डॉ. सीवी रमन भारत के ऐसे पहले वैज्ञानिक थे, जिन्हें उनके वैज्ञानिक शोध और युवाओं में विज्ञान के प्रति लगाव पैदा करने के लिए याद किया जाता है. सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को हुआ था और उनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमन है. उन्हें साल 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने आज ही के दिन 21 नवंबर 1970 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. आज उनकी पुण्यतिथि है और पूरा देश आज उन्हें याद कर रहा है. उन्होंने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए भारत को वैज्ञानिक दृष्टि से मजबूत बनाने में सराहनीय योगदान दिया था.
बता दें कि शोध करने और नोबल पुरस्कार जीतने से पहले डॉ. सीवी रमन सरकार नौकरी किया करते थे. दरअसल, 1906 में एम.ए. की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें वित्त विभाग में जनरल एकाउंटेंट के पद पर नौकरी मिल गई थी. चलिए आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों से रूबरू कराते हैं.
1- सीवी रमन ने अपने तेज दिमाग के दम पर महज 11 साल की उम्र में मैट्रिक पास कर लिया था.
2- उनके पिता उच्च शिक्षा के लिए उन्हें विदेश भेजना चाहते थे, लेकिन उन्होंने स्वदेश में रहकर ही अपनी शिक्षा पूरी की.
3- सीवी रमन लोकसुंदरी नाम की एक लड़की की आवाज से इस कदर प्रभावित हो गए थे कि अगले ही दिन वे उसके माता-पिता से मिलने पहुंच गए और उससे विवाह की इच्छा जताई.
4- सन 1917 में सीवी रमन ने सरकारी नौकरी छोड़ दी और कलकत्ता के एक नए साइंस कॉलेज में भौतिक विज्ञान के अध्यापक बन गए. इसी क्षेत्र में उन्होंने अपने शोध कार्य को आगे बढ़ाया और उन्हें इसमें कामयाबी भी मिली.
5- सन 1922 में उन्होंने 'प्रकाश का आणविक विकिरण' नामक मोनोग्राफ का प्रकाशन कराया, जिसमें उन्होंने प्रकाश के रंगों में आने वाले बदलावों का निरीक्षण किया.
6- इसके बाद सन 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया, इसके लिए कई वैज्ञानिकों के नाम प्रस्तावित कए गए थे.
7- सीवी रमन पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीता और इस उपलब्धि को हासिल करने वाले वे पहले अश्वेत भी थे. यह भी पढ़ें: इंदिरा गांधी पुण्यतिथि विशेष: पाकिस्तान को धूल चटाकर बनाया था बांग्लादेश, अमेरिका को भी दिखाई थी आंख, अटल ने कहा था दुर्गा
8- उन्हें अपने पुरस्कार जीतने को लेकर इतना अधिक भरोसा था कि घोषणा होने से 4 महीने पहले ही उन्होंने स्वीडन का टिकट बुक करा लिया था.
9- साल 1954 में भारत सरकार की ओर से उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया और वर्ष 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार प्रदान किया था.
10- सीवी रमन का यह मानना था कि विज्ञान के क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में महिलाएं बेहतर कार्य कर सकती हैं.
गौरतलब है कि अपने जीवनकाल में सीवी रमन ने युवाओं में विज्ञान के प्रति इतनी लालसा जागृत कर दी कि वे आज भी अपनी उपलब्धियों के जरिए युवाओं के दिलों में जिंदा है और लाखों युवा आज भी उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं.