Bollywood की परेशानी का कारण बनी सिंगल थिएटरों की कमी, और ओटीटी में बढ़ोत्तरी

हिंदी फिल्म उद्योग उर्फ बॉलीवुड (Boliywood) अपने सबसे बड़े उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है.जनवरी 2021 से 43 हिंदी फिल्मों की औसत रेटिंग सिर्फ 5.9 थी, जो 18 हिंदी डब फिल्मों की 7.3 रेटिंग से काफी कम है.भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएमडीबी रेटिंग के एक अतिरिक्त प्वाइंट से 17 करोड़ रुपये अधिक संग्रह होते हैं.

OTT Platforms Representative Image (Photo credits: Pixabay)

हिंदी फिल्म उद्योग उर्फ बॉलीवुड (Boliywood) अपने सबसे बड़े उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है.जनवरी 2021 से 43 हिंदी फिल्मों की औसत रेटिंग सिर्फ 5.9 थी, जो 18 हिंदी डब फिल्मों की 7.3 रेटिंग से काफी कम है.भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएमडीबी रेटिंग के एक अतिरिक्त प्वाइंट से 17 करोड़ रुपये अधिक संग्रह होते हैं. यह भी पढ़ें:Boycott ट्रेंड पर बयान देकर फंसे Vijay Deverakonda, अभिनेता पर भड़के प्रोड्यूसर Manoj Desai (Watch Video)

सिंगल स्क्रीन थिएटरों की संख्या में गिरावट आई है और फिल्में अब मल्टीप्लेक्स में रिलीज हो रही हैं.मल्टीप्लेक्स में सिंगल स्क्रीन थिएटर के मुकाबले टिकट की कीमत तीन से चार गुना ज्यादा होती है.महंगे टिकट की कीमतें हिंदी फिल्मों के लिए उच्च मनोरंजन कर के कारण भी हैं.रिपोर्ट में कहा गया है, दिलचस्प बात यह है कि 62 प्रतिशत सिंगल स्क्रीन थिएटर दक्षिण भारत में हैं, उत्तर भारत में केवल 16 प्रतिशत ही हैं.इसके बाद पश्चिम में सभी सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.यह भी कारण हो सकता है कि दक्षिण भारतीय फिल्में (स्थानीय क्षेत्र में) हाल ही में बॉलीवुड फिल्मों की तुलना में अधिक राजस्व अर्जित कर रही हैं.

राज्यों में जनसांख्यिकीय प्रोफाइल, फिल्म देखने वालों को प्रभावित कर सकती है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एक्शन, हॉरर, ड्रामा, थ्रिलर और कॉमेडी जैसी विभिन्न शैलियों को लेकर आते हैं.युवा वर्ग इन प्लेटफार्मों का अधिक उपयोग उन शैलियों को देखने के लिए करता है जिन्हें वे सबसे अधिक पसंद करते हैं.दक्षिण भारतीय राज्यों में उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में बुजुर्ग लोगों की संख्या अधिक है, जो अभी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म की तुलना में सिनेमाघरों में बड़े पर्दे पर फिल्में देखना पसंद करते हैं.

भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ओटीटी में वृद्धि से सिनेमाघरों के दर्शकों और मुनाफे पर असर पड़ने की संभावना है क्योंकि 50 प्रतिशत से अधिक लोग महीने में 5 घंटे से अधिक ओटीटी का उपयोग करते हैं.साथ ही स्मार्ट टीवी, क्रोमकास्ट जैसे विकल्पों ने मनोरंजन के पारंपरिक तरीके को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि, इन घटनाओं ने घर पर मूवी थियेटर का अनुभव लाने में मदद की है, असीमित विकल्प दर्शकों को खराब कर रहे हैं.भारतीय मनोरंजन उद्योग में एक बड़ा व्यवधान ओटीटी (ओवर-द-टॉप) का उदय है, जो मनोरंजन उद्योग का लगभग 7-9 प्रतिशत हिस्सा है और लगातार बढ़ रहा है और सभी भाषाओं में मूल सामग्री परोस रहा है.रिपोटरें के अनुसार, भारत में 45 करोड़ ओटीटी ग्राहक हैं और इसके 2023 के अंत तक 50 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.

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