Vedaa Review: ‘वेदा’ में जॉन अब्राहम और शरवरी की जोड़ी ने किया दिल जीतने का प्रयास, बेजान कहानी और फिल्म की धीमी रफ़्तार बनी मुसीबत!
'वेदा' एक ऐसी फिल्म है जो राजस्थान के एक छोटे से टाउन के इर्द-गिर्द बुनी गई है और जातिवाद जैसे गंभीर विषय को उठाती है. निर्देशक निखिल आडवाणी ने इस फिल्म में दो कहानियों को साथ-साथ चलाने की कोशिश की है.
Vedaa Review: 'वेदा' एक ऐसी फिल्म है जो राजस्थान के एक छोटे से टाउन के इर्द-गिर्द बुनी गई है और जातिवाद जैसे गंभीर विषय को उठाती है. निर्देशक निखिल आडवाणी ने इस फिल्म में दो कहानियों को साथ-साथ चलाने की कोशिश की है. पहली कहानी वेदा (शरवरी वाघ) की है, जो दलित परिवार से आती है और जिसे कॉलेज में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. Sharvari Wagh ने अपनी आगामी फिल्म 'वेदा' के लिए की है कड़ी मेहनत, शेयर की फिजिकल ट्रेनिंग की तस्वीरें (Watch Video)
वेदा के भाई का ऊंची जाति की लड़की से प्रेम हो जाता है, जिसके चलते दोनों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इस संघर्ष में मेजर अभिमन्यु (जॉन अब्राहम) वेदा को बचाने की कोशिश करते हैं. दूसरी कहानी मेजर अभिमन्यु की है, जो एक बहादुर फौजी हैं और अपनी पत्नी के आतंकवादियों द्वारा मारे जाने के बाद बदला लेते हैं. इस घटना के बाद उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ती है और वे अपने ससुर के घर लौट आते हैं. यहां वे एक बॉक्सिंग असिस्टेंट कोच की नौकरी करते हैं और वेदा से मिलते हैं. प्रधान (अभिषेक बनर्जी) के खिलाफ जाकर वेदा को बॉक्सिंग सिखाते हैं.
देखें वेदा का ट्रेलर:
फिल्म का विषय अच्छा है, लेकिन स्टोरी टेलिंग कमजोर है और फिल्म की गति बहुत धीमी है. फर्स्ट हाफ़ तो ठीक है, पर सेकंड हाफ़ काफी उबाऊ और खींचा हुआ लगता है. जॉन अब्राहम का एक्शन तगड़ा है और शरवरी वाघ की एक्टिंग दमदार है. आशीष विद्यार्थी और अभिषेक बनर्जी ने भी अपने किरदार को अच्छे से निभाया है, लेकिन कमजोर डायरेक्शन और एडिटिंग फिल्म की चमक को फीका कर देते हैं.
कुल मिलाकर, 'वेदा' एक अच्छी कोशिश है, लेकिन कमजोर कहानी और धीमी गति के कारण यह दर्शकों को बांधे रखने में असफल रहती है. इस फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार मिलते हैं. अगर आप जॉन के तगड़े वाले फैन्स हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं नहीं तो ओटीटी में आने का इंतज़ार कर सकते हैं.