Movies on Rani Laxmi Bai: झांसी की रानी पर बनी फिल्मों में 'मणिकर्णिका' से लेकर 'झांसी की रानी' तक, वीरांगना के साहस की अमर गाथा!

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भारतीय इतिहास की उन महान हस्तियों में से एक हैं, जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया बल्कि अपने अदम्य साहस, नेतृत्व और बलिदान से सभी को प्रेरित किया.

Kangana Ranaut (Photo Credits: Instagram)

Movies on Rani Laxmi Bai: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भारतीय इतिहास की उन महान हस्तियों में से एक हैं, जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया बल्कि अपने अदम्य साहस, नेतृत्व और बलिदान से सभी को प्रेरित किया. उनकी कहानी हर भारतीय के दिल में गर्व की भावना जगाती है. रानी लक्ष्मीबाई का जीवन एक ऐसी वीरांगना की गाथा है, जिसने समाज में महिलाओं की शक्ति और आत्मनिर्भरता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया.

बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा ने भी इस वीरता को सम्मान देने के लिए कई बार रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर फिल्में बनाई हैं. इन फिल्मों ने उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दिखाते हुए न केवल उनकी बहादुरी को उजागर किया, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी संदेश दिया है. 'झांसी की रानी' से लेकर 'मणिकर्णिका' तक, हर फिल्म ने रानी के साहस और बलिदान की अमर गाथा को पर्दे पर उतारा है.

झांसी की रानी

1953 में बनी 'झांसी की रानी' हिंदी सिनेमा की पहली टेक्नीकलर फिल्म थी, जिसमें तनुजा ने लक्ष्मीबाई की भूमिका निभाई थी. इस फिल्म में रानी की संघर्ष गाथा और अंग्रेजों के खिलाफ उनकी बहादुरी को बेहद प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया.

मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी

2019 में रिलीज़ हुई कंगना रनौत स्टारर 'मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन को और गहराई से उजागर किया. फिल्म में कंगना ने उनके साहस, नेतृत्व और मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण को जीवंत किया.

इनके अलावा 2019 में ही मराठी फिल्म 'मणिकर्णिका' भी बनी, जिसमें रानी के संघर्ष को क्षेत्रीय दृष्टिकोण से दिखाया गया. एक अन्य उल्लेखनीय फिल्म है 2011 में बनी 'झांसी की रानी लक्ष्मीबाई', जो डॉक्यूड्रामा के रूप में उनके जीवन की कहानी बताती है.

रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर बनी ये सभी फिल्में दर्शकों को प्रेरित करती हैं और उनके बलिदान और साहस को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं. ये फिल्में न केवल उनके युद्ध कौशल को दिखाती हैं बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक हैं.

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