सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद मीडिया पर भड़की एक्ट्रेस कृति सेनन, कहा- किसी के अंतिम संस्कार पर तमीज से पेश आए वरना न आएं 

बॉलीवुड एक्ट्रेस कृति सेनन अपने दोस्त सुशांत सिंह राजपूत को खोकर बेहद दुखी हैं. हाल ही में उन्होंने सुशांत के निधन बाद उनके साथ अपनी कुछ फोटो पोस्ट करके उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की थी.

सुशांत सिंह राजपूत और कृति सेनन (Photo Credits: Facebook)

बॉलीवुड एक्ट्रेस कृति सेनन (Kriti Sanon) अपने दोस्त सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) को खोकर बेहद दुखी हैं. हाल ही में उन्होंने सुशांत के निधन बाद उनके साथ अपनी कुछ फोटो पोस्ट करके उनके प्रति श्रद्धांजलि (Tribute) व्यक्त की थी. सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद आज कृति ने मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. अपने इस पोस्ट में कृति ने कई बातों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.

कृति ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट के साथ कैप्शन दिया, "यह कुछ बातें हैं जो मेरे दिमाग में चल रही हैं बहुत कुछ लेकिन अभी तो लिए मुझे सिर्फ यह कहना है." अपने इस पोस्ट में कृति लिखती हैं, "यह बेहद अजीब है कि हमेशा ट्रोल, गॉसिप करने वाली दुनिया अचानक से आप से बेहतर तरीके से पेश आने लगी और आपकी सकारात्मक चीजों पर बात करने लगे, जब आप चले गए हो... सोशल मीडिया सबसे बनावटी जगह है, अगर आपने यहां रेस्ट इन पीस पोस्ट नहीं लिखा या सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा, तो आपको इस मामले में कंसीडर ही नहीं किया जाएगा कि आप शोक मना रहे हैं, जबकि असलियत यह है कि वही लोग शोक मना रहे होते हैं. ऐसा लगता है जैसे सोशल मीडिया एक असली दुनिया बन चुकी है और असली दुनिया इन्हें नकली लगने लगी है."

कुछ मीडिया संस्थान ने अपनी संवेदनशीलता और अपना उद्देश्य ही खो दिया है. ऐसे मौके पर वह आपसे आकर कहते हैं कि क्या आप लाइव आ सकते हैं और अपना बयान दे सकते हैं ? क्या वाकई सच में? किसी के अंतिम संस्कार में आए व्यक्ति से यह कहते हैं कि मैडम शीशा नीचे करो ना ताकि आपकी बेहतर फोटो ली जा सके. अंतिम संस्कार एक बेहद ही निजी चीज है. इसलिए हमें अपनी व्यवसाय के आगे इंसानियत को रखना चाहिए. मैं मीडिया से अनुरोध करती हूं कि ऐसे मौके पर या तो सम्मान के साथ पेश आएं या फिर ना आएं. इस चमक-धमक और चकाचौंध के पीछे हम भी आम इंसान हैं जिनकी भावनाएं आप ही की तरह है, इस बात को न भूलें."

कृति ने कहा, "पत्रकारिता के लिए कुछ कानून बनाए जाने चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत है. क्या पत्रकारिता में आता है और 'क्या जियो और जीने दो' में आना चाहिए. ब्लाइंड आइटम्स को गैरकानूनी बना देना चाहिए क्योंकि वह मानसिक प्रताड़ना के साथ आते हैं. इसलिए या तो सबूत के साथ नाम लेकर लिखें या फिर लिखे ही नहीं. कही सुनी बातों को आप पत्रकारिता कहते हैं जबकि आपको बिल्कुल भी अंदाजा नहीं कि इससे किसी की मानसिक स्वास्थ्य, परिवार उनकी जिंदगी पर क्या असर होगा. आप के सूत्र हमेशा सही नहीं होते हैं."

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कृति लिखती हैं, "इल्जामों का ये सिलसिला कभी खत्म नहीं होगा इसलिए एक दूसरे के बारे में बुरा कहना, गॉसिप करना, बुरा सोचना बंद करें. ऐसा सोचना बंद करें कि आपकी राय ही सच्चाई है. हर कोई अपने जीवन में अपनी जंग लड़ रहा है जिसके बारे में हमें कुछ भी पता नहीं होता है. इसलिए आपके मुंह से निकल रही किसी भी तरह की ट्रोल और चुगलखोरी यह दिखाती है कि आप क्या हो ना कि वह क्या है. एक तरफ जहां जा हम ज्यादातर लोग इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं और इस बात की परवाह नहीं करते हैं कि कौन क्या कहता है, कहीं ना कहीं यह हमें भी प्रभावित करता है, कभी दूसरों से ज्यादा."

अंत में कृति ने लिखा, "हमें ऐसा कहना बंद कर देना चाहिए कि 'लड़के नहीं रोते', 'ऐसे नहीं रोते', 'रोना नहीं मजबूत बनो', रोना कमजोरी की निशानी नहीं है. इसलिए अपना दिल खोल कर रोएं अगर आपका मन करे तो आप चीखें और चिल्लाएं और आप क्या महसूस करते हैं इस बात को जानें. अगर आप एक मैसेज नहीं कर रहे तो भी ठीक है. लेकिन उसके बारे में बात करें, शायद कोई इस बात को समझ सके. अपनी तकलीफों से उबरने में समय लें, अपने परिवार अपने दोस्त और उन लोगों के साथ रहे जो आपसे प्रेम करते हैं और आपकी परवाह करते हैं. उन्हें कभी ना छोड़े, वह आपकी ताकत हैं और वह हमेशा आपके साथ रहेंगे. कोई भी इतना ताकतवर नहीं कि वह इस दुनिया मैं अकेले लड़ सकता है."

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