
Azaad Review: अभिषेक कपूर की फिल्म आजाद एक पीरियड ड्रामा है, जो ब्रिटिश राज के समय डकैतों की दुनिया और एक घोड़े के इमोशनल सफर को दिखाने का प्रयास करती है. बड़े सितारों और नई प्रतिभाओं के साथ इस फिल्म ने उम्मीदें जगाईं, लेकिन कमजोर पटकथा और ढीले निर्देशन के कारण फिल्म गहरी छाप छोड़ने में असफल रही. फिल्म की कहानी का केंद्र एक घोड़ा "आजाद" है, जिसकी जर्नी गोविंद (अमन देवगन) और विक्रम सिंह (अजय देवगन) के जीवन से जुड़ी हुई है. हालांकि कहानी में कई भावनात्मक पहलू जोड़े गए हैं, लेकिन इनकी प्रस्तुति में गहराई की कमी नजर आती है. Black Warrant Review: दमदार अभिनय और सच्ची घटनाओं के साथ तिहाड़ की क्रूर हकीकत को उजागर करती 'ब्लैक वारंट'!
कहानी
फिल्म विक्रम सिंह (अजय देवगन), एक डकैत, और उसके वफादार घोड़े आजाद के इर्द-गिर्द घूमती है. कहानी तब मोड़ लेती है, जब गोविंद (अमन देवगन), एक साधारण लड़का, विक्रम की दुनिया में कदम रखता है और आजाद के साथ उसका रिश्ता बनता है. इसके अलावा फिल्म में एक क्रूर जमींदार (पियूष मिश्रा) और उनकी बेटी जानकी (राशा ठडानी) के किरदारों को भी जोड़ा गया है. गोविंद का संघर्ष, जमींदार की क्रूरता और विक्रम के घोड़े के प्रति प्रेम को दिखाने की कोशिश की गई है. हालांकि, कमजोर कहानी और ढीले स्क्रीनप्ले के कारण फिल्म की भावनात्मक पकड़ कमजोर पड़ जाती है.
देखें 'आजाद' का ट्रेलर:
अभिनय
अजय देवगन: विक्रम सिंह के रूप में अजय देवगन का अभिनय प्रभावशाली है. उनके किरदार में गहराई और दम नजर आता है.
अमन देवगन: अपने डेब्यू में अमन देवगन ने गोविंद के किरदार को ईमानदारी से निभाया है. उनकी मासूमियत दर्शकों को भाती है. ऐसा कहा जा सकता है कि अमन लंबी रेस के घोड़ा हो सकते हैं.
राशा ठडानी: जानकी के रूप में राशा ने अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास किया है, पर उनसे और अच्छा करने की उम्मीद की जा रही थी.
पियूष मिश्रा: जमींदार के किरदार में पियूष मिश्रा का काम, हमेशा की तरह, बेहतरीन है. वे जब भी स्क्रीन के सामने आते हैं आप उनसे नजरें नहीं हटा पाएंगे.
फिल्म की खासियत
आजाद का किरदार: फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण घोड़ा आजाद है. गोविंद और आजाद के बीच का रिश्ता कहानी को थोड़ा भावनात्मक बनाता है.
लोकेशन और सिनेमेटोग्राफी: फिल्म में लोकेशन्स और सेट्स शानदार हैं. पीरियड ड्रामा के लिहाज से सिनेमेटोग्राफी तारीफ के काबिल है.

कमजोर पक्ष
फिल्म आजाद की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी कमजोर पटकथा और कहानी का टूटा हुआ प्रवाह है, जो दर्शकों को बांधने में असफल रहता है. घोड़े की इमोशनल जर्नी को दिखाने की कोशिश जरूर की गई है, लेकिन इसकी भावनात्मक गहराई दर्शकों से जुड़ने में नाकाम रहती है. बैकग्राउंड म्यूजिक कमजोर है, जबकि गाने कहानी से मेल नहीं खाते और अनावश्यक लगते हैं. इसके अलावा, अभिषेक कपूर का निर्देशन भी कमजोर कहानी को संभालने में विफल रहा है, जिससे फिल्म का प्रभाव और भी कम हो जाता है.

निष्कर्ष
आजाद में दमदार अभिनय और खूबसूरत सिनेमेटोग्राफी के बावजूद, कमजोर कहानी और ढीले स्क्रीनप्ले के कारण यह फिल्म औसत साबित होती है. घोड़े आजाद की जर्नी और अजय देवगन का अभिनय इस फिल्म के मुख्य आकर्षण हैं, लेकिन फिल्म का निर्देशन और अन्य तकनीकी पहलू इसे निराशाजनक बना देते हैं. इस फिल्म को 5 में से 2 स्टार.