भारत की पहली इंजन लेस Train 18 का सफल परीक्षण, 180 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चली ट्रेन

भारत की पहली इंजन रहित ट्रेन या ट्रेन 18 ने रविवार को परीक्षण के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति को पार कर लिया. एक शीर्ष अधिकारी ने यहां इस बात की जानकारी दी. इस प्रक्रिया में 100 करोड़ रुपये की स्वदेशी डिजाइन ट्रेन देश की सबसे तेज ट्रेन बन गई. ट्रेन का निर्माण करने वाली इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) के महाप्रबंधक एस. मणि ने रविवार को आईएएनएस को बताया, "ट्रेन 18 ने कोटा-स्वाई माधोपुर खंड पर 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार सीमा को पार किया

ट्रेन 18 ( File Image (Photo Credits: Northern Railway)

चेन्नई: भारत की पहली इंजन रहित ट्रेन या ट्रेन 18 (Train 18) ने रविवार (Sunday)  को परीक्षण के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति को पार कर लिया. एक शीर्ष अधिकारी ने यहां इस बात की जानकारी दी. इस प्रक्रिया में 100 करोड़ रुपये की स्वदेशी डिजाइन ट्रेन देश की सबसे तेज ट्रेन बन गई. ट्रेन का निर्माण करने वाली इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) के महाप्रबंधक एस. मणि ने रविवार को आईएएनएस को बताया, "ट्रेन 18 ने कोटा-स्वाई माधोपुर खंड पर 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार सीमा को पार किया. बड़े परीक्षण पूरे हो चुके हैं. कुछ छोटी चीजें ही बची हैं. रिपोर्ट के आधार पर फाइन ट्यूनिंग की जाएगी, अगर जरूरत पड़ी तो. अभी तक कोई बड़ी तकनीकी समस्या सामने नहीं आई है."

मणि ने कहा, "हमें जनवरी 2019 से ट्रेन 18 के व्यावसायिक सफर की शुरुआत की उम्मीद है. सामान्य तौर पर ट्रायल में तीन महीने लगते हैं. लेकिन, अब यह इससे काफी तेज हो रहा है." उन्होंने कहा कि अगर सभी चीजें सही रहीं तो ट्रेन 18 शताब्दी एक्सप्रेस की जगह ले लेगी. मणि ने इससे पहले आईएएनएस को बताया, "भारतीय रेलवे प्रणाली के ट्रैक और सिग्नल अगर साथ दें तो यह ट्रेन 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार छूने में सक्षम है." ट्रेन 18 के स्लीपर संस्करण की शुरुआत के सवाल पर उन्होंने कहा, "हम स्लीपर कोच की भी शुरुआत करेंगे. इसके लिए ट्रेन में किसी बड़े बदलाव की जरूरत नहीं है."आईसीएफ इस वित्तीय वर्ष में एक और अगले वित्त वर्ष में चार ट्रेन18 शुरू करेगा. यह भी पढ़े: आज से पटरी पर दौड़ेगी भारत की पहली इंजन लेस Train 18, जानें खास बातें

निर्यात क्षमता के सवाल पर उन्होंने कहा कि पहले घरेलू मांग को पूरा किया जाएगा और उसके बाद विदेशी बाजारों की ओर रुख किया जाएगा. मणि ने कहा, "विदेशी मांग वहां के रेलवे ट्रैक के प्रकार पर निर्भर करती है. मध्यम आय वाले देश निश्चित रूप से इस ट्रेन को खरीद सकते हैं." 16 कोच के साथ इस ट्रेन में शताब्दी एक्सप्रेस जितनी यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगी। यह 15 से 20 फीसदी ऊर्जा की बचत करेगी और कम कार्बन उत्सर्जित करेगी.

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