India Inequality Report: ऑक्सफेम इंडिया रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा- महिलाएं, बेरोजगार तथा ग्रामीण गरीब इस वजह से पिछड़ रहे
देश में पिछले साल 61 प्रतिशत पुरुषों के पास मोबाइल फोन था जबकि केवल 31 प्रतिशत महिलाएं ही फोन रख रही थीं. यह दावा एक नयी रिपोर्ट में किया गया है जिसके मुताबिक जाति, धर्म, लिंग, वर्ग और भौगोलिक स्थिति के आधार पर भारत में बढ़ती असमानता डिजिटल क्षेत्र में भी दिखाई दे रही है.
नयी दिल्ली, पांच दिसंबर देश में पिछले साल 61 प्रतिशत पुरुषों के पास मोबाइल फोन था जबकि केवल 31 प्रतिशत महिलाएं ही फोन रख रही थीं। यह दावा एक नयी रिपोर्ट में किया गया है जिसके मुताबिक जाति, धर्म, लिंग, वर्ग और भौगोलिक स्थिति के आधार पर भारत में बढ़ती असमानता डिजिटल क्षेत्र में भी दिखाई दे रही है।
ऑक्सफेम इंडिया की ‘इंडिया इनइक्वेलिटी रिपोर्ट 2022: डिजिटल डिवाइड’ विषयक रिपोर्ट में सोमवार को कहा गया कि डिजिटल प्रौद्योगिकियों की पहुंच व्यापक रूप से पुरुषों, शहरी, उच्च जाति तथा उच्च वर्गीय परिवारों एवं लोगों तक सीमित बनी हुई है।
उसने कहा, ‘‘सामान्य जाति के आठ प्रतिशत लोगों के पास कंप्यूटर या लैपटॉप है जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के एक प्रतिशत से भी कम और अनुसूचित जाति (एससी) के दो प्रतिशत लोगों के पास ये संसाधन हैं। जीएसएमए की ‘मोबाइल जेंडर गैप’ रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करने की संभावना 33 प्रतिशत कम रही है।’’
रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले साल 61 प्रतिशत पुरुषों के पास मोबाइल फोन था जबकि केवल 31 प्रतिशत महिलाएं ही फोन रख रही थीं।
इसमें दावा किया गया, ‘‘जाति, धर्म, लिंग, वर्ग और भौगोलिक स्थिति के आधार पर भारत में बढ़ती असमानता चिंताजनक रूप से डिजिटल क्षेत्र में भी परिलक्षित हो रही हैं।’’
इस रिपोर्ट में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के जनवरी 2018 से दिसंबर 2021 तक के सर्वेक्षण के प्राथमिक आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट में रोजगार के स्तर पर भी डिजिटल विभाजन की बात कही गयी है जहां 2021 में 95 प्रतिशत वेतनभोगी स्थायी कर्मियों के पास फोन होने का पता चला जबकि केवल 50 प्रतिशत बेरोजगार (नौकरी चाह रहे और तलाश रहे) लोगों के पास मोबाइल फोन होने की बात सामने आई।
ऑक्सफेम इंडिया के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) अमिताभ बेहार ने कहा, ‘‘डिजिटल विभाजन के कारण भारत की बढ़ती असमानता पर और जोर पड़ रहा है। असमानता के इस दौर को रोकने की जरूरत है।’’
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