देश की खबरें | जनप्रतिनिधियों के लिए विशेष मजिस्ट्रेट अदालतें गठित करने का निर्देश देंगे: न्यायालय

नयी दिल्ली, 24 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में सांसदों/विधायकों के खिलाफ छोटे मोटे अपराध के मामलों में विशेष सत्र अदालतों में जारी सुनवायी संबंधी कानूनी समस्या को हल करने के लिए वह उच्च न्यायालयों को विशेष मजिस्ट्रेट अदालतों के गठन का निर्देश देगा, जहां वर्तमान मामलों को अग्रिम सुनवायी के लिए स्थानांतरित किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने पाया कि विशेष अदालतों के गठन के संबंध में पूर्व में जारी उसके निर्देशों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उचित तरीके से नहीं समझा जा सका, जिसने केवल विशेष सत्र अदालतें गठित कीं।

प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की विशेष पीठ ने कहा, '' सत्र अदालतें उन मामलों पर सुनवायी नहीं कर सकतीं, जिन पर मजिस्ट्रेट द्वारा सुनवायी की जानी है।''

पीठ ने इस पेचीदा कानूनी मुद्दे पर आदेश सुरक्षित रख लिया है कि क्या सांसदों के खिलाफ मजिस्ट्रेट अदालतों द्वारा विचारणीय छोटे अपराधों पर एक सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत के समक्ष मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं? जोकि एक न्यायिक मजिस्ट्रेट से वरिष्ठ है।

पीठ ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, '' हम इस आदेश पर विचार कर रहे हैं। उच्च न्यायालय को वहां विशेष मजिस्ट्रेट अदालतें गठित करने दीजिए, जहां ऐसी अदालतें नहीं हैं। विशेष सत्र अदालतों द्वारा सुने जा रहे मामलों को मजिस्ट्रेट अदालत को स्थानांतरित किया जाएगा। वे इन मामलों की सुनवायी उसी चरण से आगे बढ़ाएंगे जहां मामला सत्र अदालत में था। हमें लगता है कि समस्या को हल करने का केवल यही एक रास्ता है।''

शीर्ष अदालत उस मुद्दे पर सुनवायी कर रही थी कि क्या अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत उन मामलों की सुनवाई कर सकती है जो सीआरपीसी के तहत मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय हैं।

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