देश की खबरें | अध्यादेशों को दोबारा जारी करने की कोई आपात स्थिति है या नहीं, इसपर विचार करूंगा: खान

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तिरुवनंतपुरम/नयी दिल्ली, 10 अगस्त केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को कहा कि वह इस बात पर विचार करेंगे कि क्या राज्य की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार के उन अध्यादेशों को फिर से जारी करने की कोई आपात स्थिति है, जो आठ अगस्त तक उनकी मंजूरी नहीं मिलने के कारण रद्द हो गए हैं।

खान ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने फरवरी में इन अध्यादेशों पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इन्हें विधानसभा में पेश किए बिना फिर से उनके पास भेज दिया गया है, इसलिए वह इनपर विचार करेंगे और यह देखेंगे की क्या कोई आपात स्थिति है।

उन्होंने कहा, ''यदि सदन में पेश किए बिना कोई अध्यादेश दूसरी बार मेरे पास वापस आता है, तो मैं उसपर गौर करूंगा। मैं यह देखूंगा कि क्या कोई आपात स्थिति है। मैं इनपर विचार करने के बाद कोई निष्पक्ष फैसला लूंगा और उसके बाद ही हस्ताक्षर कर सकूंगा।''

खान ने कहा, ''मुझे यह देखना है कि क्या कोई आपात स्थिति है जो इन्हें दोबारा जारी करने को सही ठहराती है। इसके लिए मुझे इसका विस्तार से अध्ययन करने की आवश्यकता है।''

उन पर इस मामले में राजनीति करने के लग रहे आरोपों के बारे में पूछे जाने पर खान ने कहा कि लोग मेरी आलोचना करने के लिए आजाद हैं और वह इस मुद्दे पर किसी से उलझना नहीं चाहते।

उन्होंने कहा, ''अपना काम करते समय मुझे किसी के निर्देश की जरूरत नहीं है। मैं केवल अपने निर्णय और विवेक के आधार पर काम करूंगा।''

इससे पहले, मंगलवार को केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने कहा था कि वह इस मामले में टकराव का रुख नहीं अपनाएगा।

एलडीएफ के संयोजक ई.पी. जयराजन ने संवाददाताओं से कहा था, ‘‘वाम मोर्चा की सरकार टकराव या विरोधात्मक रुख नहीं अपनाएगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ एलडीएफ सरकार इसी तरह काम करती है। सरकार जनहित को आगे रखकर काम करती है। इसीलिए हम इन मुद्दों को संवाद और विचार-विमर्श से सुलझाने के लिए कदम उठाएंगे।’’

जो अध्यादेश आठ अगस्त को रद्द हो चुके हैं, उनमें केरल लोकायुक्त (संशोधन) अध्यादेश भी शामिल है, जिसमें यह प्रावधान था कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री या राज्य सरकार सक्षम प्राधिकारी होंगे और वे लोकायुक्त की सिफारिश पर सुनवाई का अवसर देने के बाद, उसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं।

कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने अध्यादेश का विरोध किया था और फरवरी में उसने राज्यपाल से इस पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया था।

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