सिडनी, आठ अगस्त (द कन्वरसेशन) फिल्म इनक्रेडिबल्स 2 में एक दृश्य है जहां युवा डैश अपने पिता बॉब से गणित के होमवर्क में मदद मांगता है। बॉब ऐसा ही करता है और नोटपैड पर कुछ लिखना शुरू कर देता है। लेकिन डैश तुरंत अपनी पाठ्यपुस्तक की ओर इशारा करते हुए कहता है, "आपको यह इस तरह से नहीं करना चाहिए, डैड"।
झल्लाया हुआ बॉब चिल्लाता है
मैं उस तरह से नहीं जानता! वे गणित क्यों बदलते हैं? गणित तो गणित है!
गणित में अपने बच्चों की मदद करने की कोशिश कर रहे कई माता-पिता शायद इसी तरह का सवाल पूछ रहे होंगे।
पाइथागोरस का प्रमेय आज भी उतना ही सटीक है जितना सदियों पहले इसकी खोज के समय था, और यह आगे भी उतना ही सटीक रहेगा। लेकिन आज के शिक्षक भी गणित को उस समय की तुलना में बहुत अलग तरीके से पढ़ाते हैं जब माता-पिता स्कूल में थे।
मानसिक संबंध प्रक्रियाएं नहीं
पिछले 30 वर्षों में गणित के पठन-पाठन में परिवर्तन आया है।
अतीत में छात्रों को समय सारणी और वृत्त की परिधि निकालने या किसी समीकरण को हल करने जैसी प्रक्रियाओं को सिखाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
अब हम अवधारणाओं के बीच मानसिक संबंध बनाने के महत्व को समझते हैं। उदाहरण के लिए, जब छात्र समरूप त्रिभुजों और त्रिकोणमिति के बीच संबंध को समझते हैं तो वे त्रिकोणमितीय अनुपात की परि को बहुत गहरे स्तर पर समझते हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)