देश की खबरें | निजामुद्दीन मरकज को पूरी तरह से क्यों नहीं खोला जा सकता :उच्च न्यायालय ने केंद्र से रुख स्पष्ट करने कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि निजामुद्दीन मरकज को पूरी तरह से खोलने में उसे क्या आपत्ति है।
नयी दिल्ली, 11 मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि निजामुद्दीन मरकज को पूरी तरह से खोलने में उसे क्या आपत्ति है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के बीच मार्च 2020 में तबलीगी जमात का वहां एक कार्यक्रम हुआ था, जिसके बाद से इसे बंद रखा गया है।
अदालत ने केंद्र से जानना चाहा कि वह इसे रोजाना पूरी तरह से खोलने के खिलाफ क्यों है, जबकि वह त्योहारों के दौरान इसे खोलने के लिए सहमत है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने केंद्र के वकील को अदालत को इस बात से अवगत कराने का निर्देश दिया कि उन्हें भवन की सभी मंजिलें खोलने में क्या आपत्ति है, जबकि प्राधिकारी नमाजियों की नमाज के लिए मस्जिद की प्रथम मंजिल खोलने के लिए राजी हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘यदि प्रथम मंजिल का उपयोग नमाज के लिए किया जा सकता है तो अन्य तल का भी इसके लिए उपयोग किया जा सकता है। आप(केंद्र के वकील) कृपया निर्देश प्राप्त करें क्योंकि इस मामले में प्रथम मंजिल को खोलने में कोई आपत्ति नहीं है, शेष हिस्से को खोलने के लिए क्या आपत्तियां हो सकती हैं। इसे रोजाना क्यों नहीं खोला जा सकता है।’’
अदालत दिल्ली वक्फ बोर्ड की एक अर्जी पर सुनवाई कर रही है। अर्जी के जरिये मार्च और अप्रैल में शब ए बारात और रमजान के मद्देनजर मस्जिद को खोलने का अनुरोध किया गया गया है।
बोर्ड की ओर पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने दलील दी कि जब कोविड महामारी चरम पर थी, पूर्ववर्ती पीठ ने 50 लोगों को नमाज अदा करने की इजाजत दी थी, जिसके बाद एक संयुक्त निरीक्षण किया गया था और मस्जिद परिसर का सीमांकन किया गया था।
उन्होंने कहा कि यह एक भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है और सभी नमाजियों को प्रथम तल पर अनुमति देने से असल में कोविड का खतरा पैदा होगा, ‘‘क्या आप चाहे हैं कि सभी नमाजी एक ही मंजिल पर जमा हों जबकि आपके पास सात तल उपलब्ध हैं। मैं भारत सरकार के इस तर्क को नहीं समझ पा रहा हूं। ’’
मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से पेश हुईं वरष्ठि अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा, ‘‘ऐसी कोई वजह नहीं है कि पाबंदी लगाई जाए और मस्जिद परिसर क्यों नहीं खोला जाए, जब कोई अन्य धार्मिक स्थल बंद नहीं हैं। ’’
केंद्र ने अपने एक हालिया हलफनामे में मरकज को पूरी तरह से खोले जाने का विरोध किया था और कहा था आगामी धार्मिक मौकों पर कुछ ही लोगों को नमाज अदा करने की इजाजत दी जा सकती है।
अदालत ने केन्द्र को निर्देश देने के साथ ही इस मामले को 14 मार्च के लिए सूचीबद्ध कर दिया। अदालत ने इसके साथ ही केन्द्र से यह भी कहा, ‘‘हम आपकी दलील पर कुछ स्पष्टता चाहते हैं।’’
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