संयुक्त राष्ट्र: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड के भारतीय स्वरूप (बी-1617) को वैश्विक स्तर पर ''चिंताजनक स्वरूप'' की श्रेणी में रखा है. डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 तकनीकी दल से जुड़ीं डॉ मारिया वैन केरखोव ने सोमवार को कहा कि सबसे पहले भारत में सामने आए वायरस के स्वरूप बी.1.617 को पहले डब्ल्यूएचओ द्वारा ''निगरानी स्वरूप'' की श्रेणी में रखा गया था. COVID-19: इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड में कोरोना को लेकर राहतभरी खबर, कोविड-19 से नहीं हुई एक भी मौत
उन्होंने कहा कि वायरस के इस स्वरूप को लेकर डब्ल्यूएचओ के विभिन्न दलों के बीच भी चर्चा जारी है और उनकी नजर इस बात पर भी है कि '' हमारे पास इसकी संक्रमण के बारे में क्या क्या जानकारियां हैं तथा भारत एवं अन्य देशों में इस वायरस के प्रसार के बारे में क्या क्या अध्ययन हो रहे हैं. ''
केरखोव ने कहा, '' कोविड-19 के भारतीय स्वरूप के बारे में उपलब्ध जानकारी एवं इसकी प्रसार क्षमता पर चर्चा करने के बाद हमने इसे वैश्विक स्तर पर चिंताजनक स्वरूप की श्रेणी में रखा है.''
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आपात सेवा प्रमुख डॉ माइकल रेयान ने हाल ही में कहा कि वायरस तेजी से एक से दूसरे देश में फैलता है और जो नेता सोचते हैं कि टीकाकरण से ही महामारी खत्म हो जाएगी तो वे गलती कर रहे हैं. रेयान ने कहा, ‘‘यह मानवीय व्यवहार, वायरस के नए-नए स्वरूप के उभरने और कई अन्य पहलुओं पर निर्भर करता है.’’ उन्होंने कुछ नेताओं से स्थिति की ‘‘भयावह वास्तविकता’’ को स्वीकार करने के लिए कहा. भारत में भी संक्रमण और मौतों की संख्या बढ़ी है. रेयान ने कहा, ‘‘कुछ देश अच्छी स्थिति में नहीं हैं. आपको अपने स्वास्थ्य ढांचे की रक्षा करनी चाहिए. आपको ऑक्सीजन की आपूर्ति बहाल करनी चाहिए.’’