विशाखापत्तनम, सात मई आंध्रप्रदेश के कारखाना विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि स्टाइरिन मोनोमेर वाष्प का हवा में फैलाव हवा की गति पर निर्भर करता है और फिलहाल कर्मचारी 4- टर्ट - बूटीलकेटकोल (टीबीसी) जैसे रसायनों से हवा को इसके प्रभाव से मुक्त करने की कोशिश कर रहे हैं ।
यहां एलजी पोलिमर्स के रसायनिक संयंत्र में तड़के गैस के रिसाव से पांच किलोमीटर तक के दायरे में गांव प्रभावित हुए हैं । इसमें आठ लोग मारे गए और कई श्वास लेने में तकलीफ, बेचैनी और अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं ।
विभाग के संयुक्त मुख्य निरीक्षक जे शिवशंकर रेड्डी ने पीटीआई को बताया ,‘‘ अधिकारी वाष्प में गैस का प्रभाव खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं । धीरे धीरे ये वाष्प कम हो रहे हैं । ये पूरी तरह पकड़ में नहीं आये थे । गैस का असर खत्म करने के लिये टीबीसी (4- टर्ट - बूटीलकेटकोल) जैसे रसायनों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है । ’’
स्टाइरिन के संपर्क में आने से केंद्रीय स्नायु तंत्र पर असर पड़ सकता है जिससे सिरदर्द, थकान, कमजोरी और तनाव जैसी दिक्कतें आती हैं ।
आम तौर पर इसका इस्तेमाल पोलिस्टेरीन प्लास्टिक और राल बनाने के लिये किया जाता है ।
अधिकारी ने कहा ,‘‘ इसका फैलाव दो या तीन किलोमीटर तक होने की आशंका है । यह हवा की गति पर निर्भर करता है । अभी कहा नहीं जा सकता कि यह कितने किलोमीटर तक फैला है । हवा का प्रवाह यदि भारी है तो इसके हवा में ओर फैलने की आशंका है ।’’
रेड्डी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण यह संयंत्र बंद था ।
उन्होंने कहा ,‘‘ कंपनी जल्दी ही इसे खोलने की योजना बना रही थी । इसमें कुछ ही कर्मचारी हादसे के समय मौजूद थे जिनमें सुरक्षा गार्ड और रख रखाव कर्मचारी शामिल हैं ।’’
उन्होंने कहा कि फर्म के पास परिचालन के लिये सभी जरूरी मंजूरियां थी ।
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