Vaishno Devi Stampede: जीवित बचे लोगों ने ‘कुप्रबंधन’ को जिम्मेदार ठहराया

जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में मची भगदड़ में जीवित बचे कुछ लोगों ने बताया कि नव वर्ष के आगमन पर यहां अचानक बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से भगदड़ मची और उन्होंने इस त्रासदीपूर्ण घटना के लिए ‘‘कुप्रबंधन’’ को दोषी ठहराया.

माता वैष्णो देवी मंदिर (Photo Credits: Wikimedia Commons)

कटरा (जम्मू-कश्मीर), 1 जनवरी : जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में मची भगदड़ में जीवित बचे कुछ लोगों ने बताया कि नव वर्ष के आगमन पर यहां अचानक बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से भगदड़ मची और उन्होंने इस त्रासदीपूर्ण घटना के लिए ‘‘कुप्रबंधन’’ को दोषी ठहराया. इस भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई है. बहरहाल, श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यह कहते हुए आरोपों का खंडन किया कि संभावित भीड़ के मद्देनजर सभी आवश्यक प्रबंध किए गए थे. जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा कि एक मामूली लड़ाई इस ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ घटना के लिए जिम्मेदार है. एक शव को पहचानने के लिए एक शवगृह के बाहर इंतजार कर रहे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से आए एक तीर्थयात्री ने कहा, ‘‘इस त्रासदीपूर्ण हादसे का कारण केवल कुप्रबंधन है. उन्हें भीड़ बढ़ सकने की जानकारी थी, लेकिन लोगों को बेरोक-टोक आने की अनुमति दी.’’ व्यक्ति ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि यदि संबंधित प्राधिकारियों ने तीर्थयात्रियों का बेहतर प्रबंधन किया होता, तो इस हालात से बचा जा सकता था.

उसने कहा, ‘‘इसी प्रकार की स्थिति कुछ मिनट पहले भी हुई थी, लेकिन सौभाग्य से कोई हताहत नहीं हुआ और स्थिति नियंत्रित कर ली गई. हम 10 श्रद्धालु साथ आए थे. हम सभी पड़ोसी हैं. भारी भीड़ के कारण भगदड़ मची, क्योंकि लोग अंदर-बाहर आ-जा रहे थे और हर कोई जल्दी में था.’’ तीर्थयात्री ने कहा कि कई लोग वापस जाने के बजाय, जमीन पर आराम कर रहे थे और इसके कारण भवन में और भीड़ बढ़ गई. इस भगदड़ में अपने मित्र अरुण पी सिंह (30) को खो देने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि वे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से आए थे और भवन में बहुत भीड़ थी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं करीब 10 साल पहले मंदिर आया था, लेकिन इस बार भारी भीड़ देखकर मुझे हैरानी हुई. इस त्रासदी के बाद हम असहाय थे और हमें तड़के छह बजे तक कोई मदद नहीं मिली.’’ बिहार के मुजफ्फरपुर की रानी देवी ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि इस भगदड़ में उनकी मौत नहीं हुई.

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कई लोगों को जमीन पर मृत पड़े देखा और मेरा मन व्यथित हो गया.’’ उन्होंने इसके लिए भवन में श्रद्धालुओं की ‘‘अनियंत्रित भीड़’’ को जिम्मेदार ठहराया. एक अन्य तीर्थयात्री आदित्य शर्मा ने कहा कि जमीन पर सो रहे कुछ लोग भगदड़ में कुचले गए. इस घटना के बाद कई तीर्थयात्रियों को दर्शन किए बिना ही मंदिर के आधार शिविर कटरा से लौटते देखा गया. तीन बच्चों समेत अपने परिवार के पांच अन्य सदस्यों के साथ यहां आईं रेखा ने कहा, ‘‘हम पठानकोट से हैं. हम भगदड़ के कारण दर्शन किए बिना ही भवन से लौट गए.’’ मध्य प्रदेश में ग्वालियर के रहने वाले प्रेम सिंह ने कहा कि भवन में पूरी तरह से अव्यवस्था की स्थिति थी, क्योंकि न तो तीर्थयात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध था और ना ही कोविड-19 दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा था. सिंह ने दावा किया कि ‘एक्स-रे’ जांच बिंदु पर तैनात पुलिस कर्मी भारी भीड़ के आगे कुछ नहीं कर पा रहे थे और इस प्रकार का हादसा होने की आशंका को लेकर लोगों को सचेत कर रहे थे. यह भी पढ़ें : माता वैष्णो देवी मंदिर भगदड़ : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं अन्य ने दुख जताया

इस बारे में टिप्पणी के लिए श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश कुमार से संपर्क नहीं हो पाया. वह हालात का जायजा लेने सबसे पहले पहुंचे लोगों में शामिल थे और उन्होंने नारायण अस्पताल में भर्ती घायलों से भी मुलाकात की. बोर्ड के एक अन्य अधिकारी ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि तीर्थयात्रियों की अपेक्षित भीड़ के कारण सुरक्षा समेत पर्याप्त प्रबंध किए गए थे. डीजीपी ने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कुछ युवकों के बीच झगड़ा हुआ था और कुछ ही सेकंड में भगदड़ के हालात बन गए. उन्होंने ‘पीटीआई-’ से काहा, ‘‘नागरिक प्रशासन के अधिकारियों और पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और भीड़ को तत्काल व्यवस्थित किया गया, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था.

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