देश की खबरें | उत्तराखंड : जोशीमठ में भूधंसाव, दरारें चौड़ी होने से आपदाग्रस्त क्षेत्रों के परिवार दहशत में

गोपेश्वर(उत्तराखंड), 14 अगस्त चमोली जिले के जोशीमठ में सिंहधार से लेकर सुनील वार्ड तक भूधंसाव ग्रस्त क्षेत्रों के परिवार भारी बारिश के चलते पूर्व में आई दरारें चौड़ी होने से दहशत में हैं।

इस साल जनवरी की शुरुआत में पड़ी दरारों में मानसून के दौरान बदलाव दिख रहा है और इसी कारण सुनील वार्ड में रहने वाले पांच परिवारों को दो दिन पूर्व राहत शिविर में भेज दिया गया।

बारिश के कारण जोशीमठ के सिंहधार वार्ड, गांधीनगर और सुनील वार्ड के असुरक्षित घोषित किए गए इलाके के आसपास भूधसांव बढ़ रहा है जिसने इस क्षेत्र में रह रहे परिवारों की चिंता बढ़ा दी है।

चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने बताया कि तीन दिन पहले सुनील वार्ड के प्रभावित इलाके में भूधंसाव की सूचना मिली थी जिसके बाद एहतियातन वहां से पांच परिवारों को राहत शिविर में लाया गया।

दूसरी ओर, जोशीमठ से नृसिंह मंदिर से होकर बदरीनाथ जाने वाली वैकल्पिक सड़क का पुश्ता भी कुछ दिन पूर्व धंस गया था जिसके कारण बदरीनाथ जाने वाले वाहनों को जोशीमठ के रास्ते ही गंतव्य तक भेजा जा रहा है। इस कारण जोशीमठ में लगातार जाम की स्थिति बन रही है।

लोक निमार्ण विभाग के अधिकारियों ने यहां संवाददाताओं को बताया कि शासन से धन मिलते ही सड़क के ध्वस्त पुश्ते का निर्माण शुरू कर दिया जायेगा।

जोशीमठ में मारवाड़ी क्षेत्र में जेपी कालोनी से लेकर सिंहधार वार्ड में जिस इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था, वहां भूधंसाव का सिलसिला जारी है।

इसी इलाके में रहने वाले पूर्व ग्राम पंचायत प्रधान प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि सिंहधार वार्ड में जनवरी में भूधंसाव से सबसे ज्यादा प्रभावित हुई प्राथमिक स्कूल से लेकर नृसिंह मंदिर के बीच की पैदल सड़क अब लगभग पूरी तरह धंसने की कगार पर है।

चौहान ने बताया कि पहले इस रास्ते से बाइक आदि गुजर जाते थे लेकिन अब वहां आवाजाही पूरी तरह बंद हो गयी है। इसके ऊपर और नीचे दरारों और धंसाव का आकार भी पहले की अपेक्षा बढ़ा हुआ देखा जा सकता है।

यह वही इलाका है जिसको लेकर जनवरी में इसरो ने पहले उपग्रह मानचित्र जारी किया था जिसे बाद में वापस ले लिया था। इस पैदल सड़क के ऊपर आवासीय मकान हैं जबकि निचले इलाके में जेपी जलविद्युत परियोजना की कॉलोनी ध्वस्त हुई थी।

इस इलाके में एक प्राचीन आश्रम भी था जिसका एक बड़ा हिस्सा धीरे- धीरे क्षतिग्रस्त हो चुका है। आश्रम में रह रहे संत को भी स्थानीय प्रशासन ने अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)