देश की खबरें | मनमोहन सिंह से सम्मानित ओडिशा के दो आदिवासियों ने दी पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्र द्वारा मनमोहन सिंह को शनिवार को नयी दिल्ली में अंतिम विदाई दिए जाने के बीच, ओडिशा के एक सुदूर जिले के उन दो आदिवासियों ने अपने प्रिय नेता से जुड़ी यादों को नम आंखों से याद किया, जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री ने 2012 में जैव विविधता संरक्षण संबंधी प्रयासों के लिए सम्मानित किया था।

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देश की खबरें | मनमोहन सिंह से सम्मानित ओडिशा के दो आदिवासियों ने दी पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि

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एजेंसी न्यूज Bhasha|
देश की खबरें | मनमोहन सिंह से सम्मानित ओडिशा के दो आदिवासियों ने दी पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि

कोरापुट (ओडिशा), 28 दिसंबर राष्ट्र द्वारा मनमोहन सिंह को शनिवार को नयी दिल्ली में अंतिम विदाई दिए जाने के बीच, ओडिशा के एक सुदूर जिले के उन दो आदिवासियों ने अपने प्रिय नेता से जुड़ी यादों को नम आंखों से याद किया, जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री ने 2012 में जैव विविधता संरक्षण संबंधी प्रयासों के लिए सम्मानित किया था।

बोलिगुडा गांव के निवासी रैला मुदुली और नुआगुडा के चंद्रा प्रधाननी ने कहा कि वे सिंह के निधन पर अपने दुख को शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे।

पूर्व प्रधानमंत्री का बृहस्पतिवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया था। वह 92 वर्ष के थे।

आर्थिक सुधारों के जनक और राजनीति में सादगी एवं सौम्यता के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका नयी दिल्ली में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सिंह की बेटी ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।

सिंह ने 12 वर्ष पहले भुवनेश्वर में आयोजित 99वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान मुदुली और प्रधानी को जैव विविधता संरक्षण में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया था।

भूमिया आदिवासी समुदाय के किसान रैला मुदुली ने कहा, ‘‘जब मैंने उनके निधन के बारे में शुक्रवार को सुना तो मेरे पास अपना दुख व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि उस दिन (2012 में) मैं बहुत घबराया हुआ था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री से पुरस्कार प्राप्त करना एक अविस्मरणीय क्षण था। वह सौम्य एवं मृदुभाषी थे और उन्होंने हमें जैव विविधता संरक्षण की दिशा में समर्पित रूप से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।’’

प्रधानी, तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह के साथ हुई अपनी संक्षिप्त बातचीत को याद करते समय अपने आंसू नहीं रोक पाए।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने पुरस्कार ग्रहण किया तो वह मुझे देखकर मुस्कुराए और उन्होंने हमें जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रेरित किया। उनके शब्द आगामी वर्षों में भी प्रेरणा देते रहेंगे।’’

जयपुर स्थित ‘एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन’ के निदेशक प्रशांत परिदा ने कहा कि कोरापुट को 2012 में खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने ‘वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली’ (जीआईएएचएस) के रूप में मान्यता दी गई थी।

परिदा ने कहा, ‘‘रैला और चंद्रा ने उस कार्यक्रम में कोरापुट का प्रतिनिधित्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।’’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और कई अन्य हस्तियों ने सिंह को अंतिम विदाई दी।

कांग्रेस नेता सिंह 2004 से 2014 तक 10 वर्ष देश के प्रधानमंत्री रहे और उससे पहले उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने में मदद की।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

देश की खबरें | मनमोहन सिंह से सम्मानित ओडिशा के दो आदिवासियों ने दी पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि

कोरापुट (ओडिशा), 28 दिसंबर राष्ट्र द्वारा मनमोहन सिंह को शनिवार को नयी दिल्ली में अंतिम विदाई दिए जाने के बीच, ओडिशा के एक सुदूर जिले के उन दो आदिवासियों ने अपने प्रिय नेता से जुड़ी यादों को नम आंखों से याद किया, जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री ने 2012 में जैव विविधता संरक्षण संबंधी प्रयासों के लिए सम्मानित किया था।

बोलिगुडा गांव के निवासी रैला मुदुली और नुआगुडा के चंद्रा प्रधाननी ने कहा कि वे सिंह के निधन पर अपने दुख को शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे।

पूर्व प्रधानमंत्री का बृहस्पतिवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया था। वह 92 वर्ष के थे।

आर्थिक सुधारों के जनक और राजनीति में सादगी एवं सौम्यता के प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका नयी दिल्ली में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सिंह की बेटी ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।

सिंह ने 12 वर्ष पहले भुवनेश्वर में आयोजित 99वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान मुदुली और प्रधानी को जैव विविधता संरक्षण में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया था।

भूमिया आदिवासी समुदाय के किसान रैला मुदुली ने कहा, ‘‘जब मैंने उनके निधन के बारे में शुक्रवार को सुना तो मेरे पास अपना दुख व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि उस दिन (2012 में) मैं बहुत घबराया हुआ था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री से पुरस्कार प्राप्त करना एक अविस्मरणीय क्षण था। वह सौम्य एवं मृदुभाषी थे और उन्होंने हमें जैव विविधता संरक्षण की दिशा में समर्पित रूप से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।’’

प्रधानी, तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह के साथ हुई अपनी संक्षिप्त बातचीत को याद करते समय अपने आंसू नहीं रोक पाए।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने पुरस्कार ग्रहण किया तो वह मुझे देखकर मुस्कुराए और उन्होंने हमें जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रेरित किया। उनके शब्द आगामी वर्षों में भी प्रेरणा देते रहेंगे।’’

जयपुर स्थित ‘एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन’ के निदेशक प्रशांत परिदा ने कहा कि कोरापुट को 2012 में खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने ‘वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली’ (जीआईएएचएस) के रूप में मान्यता दी गई थी।

परिदा ने कहा, ‘‘रैला और चंद्रा ने उस कार्यक्रम में कोरापुट का प्रतिनिधित्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।’’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और कई अन्य हस्तियों ने सिंह को अंतिम विदाई दी।

कांग्रेस नेता सिंह 2004 से 2014 तक 10 वर्ष देश के प्रधानमंत्री रहे और उससे पहले उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने में मदद की।

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