कोरोना वायरस के नए स्वरूप के खतरे के बीच कर्नाटक में दो दक्षिण अफ्रीकी संक्रमित पाए गए
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Image)

बेंगलुरु, 28 नवंबर : कोविड के नए स्वरूप 'ओमीक्रोन' के बड़े पैमाने पर फैलने की आशंका के बीच कर्नाटक में दक्षिण अफ्रीका के दो नागरिक कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और उनके नमूनों को स्वरूप के बारे में पता लगाने के उद्देश्य से आगे की जांच के लिये भेज दिया गया है. एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दोनों को पृथक-वास में भेज दिया गया है और चिंता की कोई बात नहीं है. बेंगलुरु ग्रामीण के उपायुक्त के. श्रीनिवास ने बताया, ''एक से 26 (नवंबर) तक दक्षिण अफ्रीका से कुल 94 लोग आए. उनमें से दो नियमित कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. लिहाजा, लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है.'' यह भी पढ़ें : कोरोना के ‘Omicron’ वेरिएंट से दुनियाभर में दहशत, अब तक इन देशों में मिले मामले- लापरवाही पड़ेगी भारी

उन्होंने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि दोनों संक्रमित व्यक्तियों को अलग कर दिया गया है, अधिकारियों द्वारा निगरानी की जा रही है और उनके नमूनों को स्वरूप के बारे में पता लगाने के उद्देश्य से आगे की जांच के लिये भेज दिया गया है. यह देखते हुए कि दस देशों को उच्च खतरे के रूप में पहचाना गया है, उपायुक्त ने कहा कि वहां से आने वाले सभी लोगों को अनिवार्य रूप से जांच से गुजरना पड़ता है, और जो संक्रमित पाये जाते हैं उन्हें अलग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक से 26 नवंबर के बीच 10 अधिक खतरे वाले देशों से 584 लोग बेंगलुरू पहुंचे हैं.

पिछले एक सप्ताह में बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और इजराइल जैसे देशों में नए स्वरूप के मामलों का पता चला है. इसके मद्देनजर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने शनिवार को कहा कि हवाई अड्डों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि इन देशों से शहर की यात्रा करने वालों को नकारात्मक कोविड परीक्षण रिपोर्ट होने के बावजूद जांच से गुजरना होगा, और उन्हें नकारात्मक जांच के बाद ही हवाई अड्डे से बाहर जाने की अनुमति दी जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘‘नकारात्मक जांच के बाद भी उन्हें घर पर रहना होगा और सात दिनों के बाद उन्हें एक बार फिर से जांच करानी होगी और नकारात्मक रिपोर्ट मिलने के बाद, कोई भी बाहर जा सकता है.’’ कोविड के अधिक संक्रामक स्वरूप ‘बी.1.1.1.529’ के बारे में पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सूचित किया गया था, और बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग, इजराइल और ब्रिटेन में भी इसकी पहचान की गई है.