नई दिल्ली: सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की तैयारी कर रही है. सूत्रों का कहना है कि निजीकरण से पहले ये बैंक अपने कर्मचारियों के लिए आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) ला सकते हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 2021-22 का बजट पेश करते समय सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों तथा एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव किया था. सूत्रों का कहना है कि आकर्षक वीआरएस योजना से निजी क्षेत्र द्वारा इन बैंकों का अधिग्रहण काफी सुगम हो जाएगा.
सूत्रों का कहना है कि वीआरएस के जरिये कर्मचारियों को जबरन बाहर करने का मकसद नहीं है, बल्कि इसके जरिये उन कर्मचारियों को इसका फायदा होगा जो पहले सेवानिवृत्ति लेना चाहते हैं। उन्हें इसके लिए आकर्षक वित्तीय पैकेज मिल सकेगा. नीति आयोग को निजीकरण के लिए बैंको की पहचान का काम सौंपा गया था.आयोग ने कैबिनेट सचिव राजीव गाबा की अगुवाई वाली उच्चस्तरीय समिति को ये नाम सौंप दिए हैं. यह भी पढ़े: SBI VRS Scheme: एसबीआई 30,000 से ज्यादा कर्मचारियों को वीआरएस देने की तैयारी में, लागत कम करने के लिए शुरू होगी स्कीम
विनिवेश पर गठित सचिवों के मुख्य समूह द्वारा संभवत: सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया कुछ नाम हैं जिनके निजीकरण पर विचार किया जा सकता है.
इस उच्चस्तरीय समिति के अन्य सदस्यों में आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉरपोरेट मामलों के सचिव, विधि मामलों के सचिव, लोक उपक्रम विभाग के सचिव, निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव शामिल हैं.
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