बेहतर वेतन का वादा कर महिला का यौन उत्पीड़न, आरोपियों में दो वकील सहित कुल 7 लोगों के लिए कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

मुंबई के एक सत्र न्यायालय ने एक कानूनी फर्म के दो वकीलों और पांच अन्य कर्मचारियों को उनके खिलाफ दर्ज दुष्कर्म और छेड़खानी के मामले में गिरफ्तारी से बुधवार को अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया. पैंतीस वर्षीय एक महिला वकील ने इन लोगों पर दुष्कर्म और छेड़खानी का आरोप लगाया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo credits: Facebook)

मुंबई के एक सत्र न्यायालय ने एक कानूनी फर्म के दो वकीलों और पांच अन्य कर्मचारियों को उनके खिलाफ दर्ज दुष्कर्म और छेड़खानी के मामले में गिरफ्तारी से बुधवार को अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया. पैंतीस वर्षीय एक महिला वकील ने इन लोगों पर दुष्कर्म और छेड़खानी का आरोप लगाया है.

महिला ने आरोप लगाया था कि प्रमुख आरोपी ने अपने कानूनी फर्म में बेहतर वेतन देने का वादा कर कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया. महिला की शिकायत के आधार पर सोमवार को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

इस मामले में गिरफ्तारी के डर से प्रमुख आरोपी जोकि खुद भी एक वकील है, उसने सत्र न्यायालय के समक्ष अग्रिम जमानत याचिका दायर की. एक अन्य आरोपी के वकील ने अदालत को बताया कि महिला ने पहले भी इसी तरह की एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसे रद्द कर दिया गया था. क्योंकि उसने आरोप वापस ले लिए थे,और मौजूदा शिकायत भी उसी तरह दर्ज की गई थी.

आरोपी ने अदालत के समक्ष महिला से संबंधित पहले के मामलों में पारित आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि महिला ने पहले भी कुछ अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत मामला दर्ज कराया था. हालांकि, अतिरिक्त लोक अभियोजक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पीड़िता स्वयं एक वकील है और कथित अपराध बहुत गंभीर है.

महिला ने अपने बयान में कहा कि प्रमुख आरोपी ने उसे दक्षिण मुंबई स्थित एक कानूनी फर्म में 1.50 लाख रुपये प्रति माह वेतन देने का वादा किया. महिला का आरोप है कि आरोपी ने नियुक्ति पत्र देने के लिए कार्यालय में बुलाया और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया. महिला ने उसी फर्म के एक अन्य वकील और पांच अन्य सदस्यों पर छेड़खानी करने के आरोप लगाए हैं.

सभी दलीलों को सुनने के बाद, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस पी अग्रवाल ने कहा कि पीड़िता को कानून का ज्ञान है, और इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आरोपी और पीड़िता के बीच उनके पेशेवर काम को लेकर कुछ विवाद है. अदालत ने सभी आरोपियों को दो अगस्त को मामले की अगली सुनवाई की तारीख तक अंतरिम संरक्षण देते हुए पुलिस को उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया.

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