लंदन, नौ अक्टूबर भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर जारी बातचीत तय समय पर पूरी होने की राह में डेटा स्थानीयकरण और ब्रिटिश कंपनियों को भारत सरकार के ठेकों में बोली लगाने की मंजूरी देने जैसे मुद्दे बड़ी अड़चन के तौर पर सामने आए हैं। ब्रिटिश मीडिया में रविवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया।
समाचारपत्र 'द डेली टेलीग्राफ' ने एफटीए वार्ता से जुड़े एक शख्स के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा है कि विदेशी कंपनियों को डेटा भंडार भारत में ही सुरक्षित रखने से संबंधित डेटा स्थानीयकरण नियम और भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के ठेकों में ब्रिटिश कंपनियों को बोली लगाने की मंजूरी देने का मसला इस विस्तृत समझौते के लिए गतिरोध बन गए हैं।
भारत और ब्रिटेन दोनों ही देशों ने इस महीने दिवाली तक एफटीए वार्ता पूरी होने और एक समझौता संपन्न करने की समयसीमा तय की हुई है। इसके लिए 24 अक्टूबर के पहले सहमति बनाने की कोशिशें जोरशोर से चल रही हैं लेकिन इन मुद्दों के सामने आ जाने से व्यापक समझौते पर संशय मंडराने लगा है।
इस करीबी सूत्र ने कहा, ‘‘समझौते की राह में पैदा हुए गतिरोध समय के साथ ही खत्म होंगे। यह व्यापार समझौता चाहे कितना भी महत्वाकांक्षी और व्यापक क्यों न हो, इसमें समय लगने की स्थिति बनती दिख रही है।’’
ऐसी स्थिति में 24 अक्टूबर की तय समयसीमा पर दोनों देश एक प्रतीकात्मक व्यापार समझौते की घोषणा कर विस्तृत समझौते को भविष्य के लिए टाल सकते हैं।
ब्रिटेन की व्यापार मंत्री केमी बेडनोच ने हाल ही में कहा था कि भारत के साथ एफटीए पर वार्ता अटक जाने का यह मतलब नहीं है कि बाद में भी इस दिशा में कुछ नहीं किया जा सकता है।
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