Twitter Acquisition: भारत में लोगों की राय विभाजित, कुछ समर्थन में, अन्य सतर्क
अरबपति कारोबारी एलन मस्क के हाथों ट्विटर की खरीद का सौदा पूरा करने के साथ ही शुक्रवार को इस सोशल मीडिया कंपनी के चार शीर्ष अधिकारियों को बर्खास्त कर दिए जाने पर ट्विटर पर लोगों की प्रतिक्रिया विभाजित नजर आई.
नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर : अरबपति कारोबारी एलन मस्क के हाथों ट्विटर की खरीद का सौदा पूरा करने के साथ ही शुक्रवार को इस सोशल मीडिया कंपनी के चार शीर्ष अधिकारियों को बर्खास्त कर दिए जाने पर ट्विटर पर लोगों की प्रतिक्रिया विभाजित नजर आई. एक तरफ इस मंच पर अपलोड होने वाली सामग्री के नियमन के खिलाफ मुखर राय रखने वाले लोगों ने इस घटनाक्रम का समर्थन किया. वहीं बाकी लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देने में सावधानी बरती. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार मस्क ने ट्विटर के अधिग्रहण का अपना सौदा 44 अरब अमेरिकी डॉलर में पूरा कर लिया है.
इसके साथ ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पराग अग्रवाल और विधि कार्यकारी विजया गड्डे सहित ट्विटर के चार शीर्ष अधिकारियों को हटा दिया गया है. इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने ट्वीट किया, ''एलन मस्क द्वारा अधिग्रहण के बाद ट्विटर में विकेट गिर रहे हैं, इसलिए भारत में 'अर्बन नक्सल' को निश्चित रूप से चिंतित होना चाहिए.''
एक अन्य फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी की एक तस्वीर पोस्ट की, जो हाथ में एक पोस्टर पकड़े हैं. इस पोस्टर में ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को तोड़ने की अपील की गई है. यह भी पढ़ें : छठ से पहले दिल्ली में बवाल, जल बोर्ड के अधिकारी पर भड़के BJP सांसद परवेश वर्मा; गाली-गलौच का Video हुआ वायरल
अग्निहोत्री ने लिखा, ''वे ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को तोड़ना चाहते थे, लेकिन उन्होंने खुद को तोड़ लिया. ब्राह्मणवादी न्याय का एक उदाहरण. धन्यवाद एलन मस्क.'' कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देने में सावधानी बरतने की बात कही. कांग्रेस के पूर्व नेता और लेखक संजय झा ने कहा कि अधिग्रहण के तुरंत बाद ट्विटर की शीर्ष टीम को बाहर करने से नेतृत्व के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ है. उन्होंने मस्क के व्यवहार की तुलना पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ की. एक स्तंभकार और पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने इस घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए कहा कि इसके बाद समाज वामपंथ और दक्षिणपंथ के बीच अधिक विभाजित हो जाएगा.