ट्रंप की शुल्क वाली धमकी से यूरोप में भी बेचैनी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

डॉनल्ड ट्रंप ने धमकी दी है कि राष्ट्रपति बनने के बाद पहले ही दिन वह कई देशों पर शुल्क लगाएंगे. इसके बाद कई देशों में खलबली मच गई है. ट्रंप ने तो सिर्फ मेक्सिको, चीन और कनाडा का नाम लिया है लेकिन बेचैनी यूरोप में भी है.अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के पूरे अभियान में डॉनल्ड ट्रंप दुनिया भर से आयात की जाने वाली चीजों पर भारी शुल्क लगाने की धमकी देते रहे. इस हफ्ते उन्होंने सोशल मीडिया पर कई पोस्ट डाल कर कहा कि वह राष्ट्रपति बनने के बाद पहले ही दिन मेक्सिको, कनाडा और चीन से आने वाली चीजों पर भारी शुल्क लगा देंगे. जर्मनी में आर्थिक मामलों के मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने कहा है कि ऐसी स्थिति यूरोप या जर्मनी के साथ भी पेश आ सकती है जिसके लिए तैयारी करनी होगी.

यूरोप की चिंता

बर्लिन में एक कारोबारी सम्मेलन में हाबेक ने कहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की सोमवार को घोषणाएं यह दिखाती हैं कि उनकी चेतावनियों को गंभीरता से लेना होगा. हाबेक का कहना है, "यूरोपीय संघ को इस मामले में संयुक्त रूप से यूरोप के तौर पर साथ आ कर प्रतिक्रिया देनी चाहिए." साथ ही हाबेक ने यह भी कहा कि जवाबी कदमों पर विचार करने से पहले यूरोप के नेताओं को इस पर बातचीत करनी चाहिए.

हाबेक ने ध्यान दिलाया कि ट्रंप मेक्सिको और कनाडा पर शुल्क लगाने की बात कह रहे हैं, जबकि उन देशों के साथ अमेरिका ने मुक्त व्यापार समझौता किया है. ट्रंप पहले कार्यकाल में यूरोपीय स्टील और एलुमिनियम के निर्यात पर शुल्क लगा चुके हैं. इसके बाद यूरोप की तरफ से भी जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी चीजों पर शुल्क लगाए थे. वह संकेतों में कहते रहे हैं कि अमेरिका के साथ कारोबार में यूरोपीय संघ भारी व्यापार घाटे का फायदा उठा रहा है.

जर्मनी की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को अमेरिकी शुल्कों से खासतौर से बहुत नुकसान हो सकता है. जर्मनी के केंद्रीय बैंक ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि यह विकास को एक फीसदी तक प्रभावित कर सकता है.

मेक्सिको भी लगा सकता है जवाबी शुल्क

मेक्सिको के राष्ट्रपति की ट्रंप की घोषणा पर आई प्रतिक्रिया से ऐसा लग रहा है कि मेक्सिको भी ट्रंप के शुल्क का जवाब अमेरिकी सामानों पर शुल्क लगा कर दे सकता है.

मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शाइनबाउम ने कहा है कि मेक्सिको अमेरिकी सामानों पर जवाबी शुल्क लगा सकता है. ट्रंप ने कहा है कि अगर मेक्सिको सीमाओं से नशीली दवाओं और प्रवासियों के अमेरिका जाने पर रोक नहीं लगाता तो मेक्सिको से आने वाले सामान पर 25 फीसदी शुल्क लगाई जाएगी. शाइनबाउम का कहना है कि वह इस मुद्दे पर बातचीत करना चाहती हैं, हालांकि उनका यह भी कहना है कि नशीली दवाएं अमेरिका की समस्या हैं.

दोनों देशों में व्यापार की योजना बना रही अमेरिकी कार कंपनियों का जिक्र करते हुए शाइनबाउम ने कहा, "एक शुल्क के बाद जवाब में दूसरा शुल्क आएगा, और यह तब तक चलेगा जब तक कि हम आपसी व्यापार को खतरे में नहीं डाल देते." शाइनबाउम ने यह भी कहा कि मेक्सिको ने प्रवासियों के प्रवाह को रोकने के लिए बहुत कुछ किया है. उन्होंने ध्यान दिलाया, "प्रवासियों के कैरावैन अब सीमा तक नहीं पहुंच रहे." ट्रंप की घोषणा के बाद अमेरिकी कार कंपनियों के शेयरों की कीमतें मंगलवार को कई बाजारों में नीचे गिर गईं.

उधर कनाडाई सरकार के सूत्रों से पता चला है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप के साथ फोन पर बातचीत की है. सूत्रों के मुताबिक कारोबार और सीमा से जुड़े मामलों पर 'रचनात्मक' बातचीत हुई है.

चीन की प्रतिक्रिया

ट्रंप की घोषणाओं के बाद "मंगलवार को चीन ने कहा कि कारोबारी जंग में कोई नहीं जीतेगा." अमेरिका में चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियु पेंग्यू ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा है, "चीन का मानना है कि चीन-अमेरिका आर्थिक और कारोबारी संबंधों की प्रकृति आपसी मुनाफे की है." चीन का यह भी कहना है कि वह इस मुद्दे पर बातचीत के लिए भी तैयार है.

ट्रंप के बाद अब बाइडेन ने शुल्क बढ़ा कर चीन की मुश्किलें बढ़ाई

सोमवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ट्रंप ने कई पोस्ट डाले. ट्रंप ने शपथ लेकर कहा कि वह अमेरिका के बड़े कारोबारी साझेदारों से देश में आने वाले हर सामान पर शुल्क लगाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वह चीन पर अतिरिक्त शुल्क के ऊपर से भी 10 फीसदी का शुल्क लगाएंगे. ट्रंप का कहना है कि यह फेंटानिल की तस्करी रोकने में नाकामी की वजह से चीन पर लगाया जाएगा.

चीन के विदेश मंत्रालय से जब पूछा गया कि क्या चीन ने ट्रंप की टीम के साथ बातचीत कोई कोशिश की है, तो विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "सैद्धांतिक रूप से हम बातचीत और संवाद बनाए रखने के लिए तैयार हैं."

शुल्क लगाना ट्रंप के आर्थिक एजेंडे में प्रमुख रूप से शामिल है. चुनाव अभियान के दौरान सहयोगियों और विरोधियों पर व्यापक रूप से शुल्क लगाने की वो बात करते रहे और रिपब्लिकन लोगों का उन्हें समर्थन मिलता रहा.

एनआर/आरपी (एएफपी, डीपीए)