
पेनसिल्वेनिया (अमेरिका), 20 फरवरी : यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को 18 फरवरी को सऊदी अरब में हुई उनके देश के भविष्य से संबंधित चर्चा से बाहर रखा गया. इस वार्ता के दौरान न तो कोई यूक्रेनी प्रतिनिधि था और न ही यूरोपीय संघ का कोई प्रतिनिधि था. वार्ता में केवल अमेरिकी एवं रूसी प्रतिनिधिमंडल और उनके सऊदी मेजबान थे. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद यह बैठक हुई. इस बैठक का रूस में हर्षोल्लास से जश्न मनाया गया. यूक्रेन के भविष्य के बारे में निर्णय लेने में उसकी कोई भूमिका न होना, पुतिन की अपने पड़ोसी के प्रति नीति के अनुरूप है. पुतिन लंबे समय से यूक्रेन देश और यूक्रेन सरकार की वैधता को अस्वीकार करते रहे हैं.
हालांकि, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दोहराया कि भविष्य की चर्चाओं में किसी न किसी स्तर पर यूक्रेन को शामिल करना होगा, लेकिन ट्रंप प्रशासन के कार्यों एवं शब्दों ने कीव की स्थिति और प्रभाव को निस्संदेह कमजोर किया है. अमेरिका जेलेंस्की और यूक्रेन सरकार को अवैध ठहराने की रूस की योजना के अनुरूप तेजी से आगे बढ़ रहा है और शांति समझौते के तहत यूक्रेन में चुनाव कराने की वकालत कर रहा है. जेलेंस्की की वैधता पर सवाल
जेलेंस्की की वैधता को चुनौती देना यूक्रेनी नेतृत्व को बदनाम करने, यूक्रेन के लिए उसके प्रमुख सहयोगियों से समर्थन को कमजोर करने और जेलेंस्की एवं संभवतः यूक्रेन को वार्ता में भागीदार के रूप में शामिल नहीं करने के लिए रूस द्वारा जानबूझकर चलाए जा रहे दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है. यह भी पढ़ें : इस बार के सर्दियों के मौसम में माउंट एवरेस्ट का बर्फ का आवरण 150 मीटर तक कम हुआ: शोधकर्ता
रूसी राष्ट्रपति ने दावा किया है कि उनका देश शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन तीन साल से जारी युद्ध के कई पर्यवेक्षकों को उनके इस दावे पर संदेह है, क्योंकि यूक्रेन पर रूस के हमले लगातार जारी हैं और वह अभी तक किसी भी अस्थायी युद्धविराम समझौते पर सहमत नहीं हुआ है.
इसके बावजूद, रूस यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि समस्या यह है कि यूक्रेन में ऐसा कोई वैध यूक्रेनी प्राधिकार नहीं है, जिसके साथ वह बात कर सके.
शर्तें तय करना
सऊदी अरब में हुई बैठक में अमेरिका ने किसी भी शांति समझौते के एक महत्वपूर्ण हिस्सा के तहत यूक्रेन में चुनावों पर कथित तौर पर चर्चा की. ट्रंप ने स्वयं 18 फरवरी को संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘हमारे पास ऐसी स्थिति है कि यूक्रेन में चुनाव नहीं हुए हैं. वहां ‘मार्शल लॉ’ है.’’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने गलत दावा किया कि जेलेंस्की की स्वीकृति रेटिंग घटकर ‘‘चार प्रतिशत’’ रह गई है. ताजा सर्वेक्षण से पता चलता है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति की स्वीकृति ‘रेटिंग’ 57 प्रतिशत है.
यदि फरवरी 2022 में रूस द्वारा आक्रमण शुरू करने के बाद यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू नहीं होता, तो देश में पिछले साल मई में चुनाव हो गए होते. ‘मार्शल लॉ’ अधिनियम को यूक्रेन ने 24 फरवरी, 2022 को लागू किया था. यह आपातकाल में यूक्रेन में सभी चुनावों पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाता है.
मतपेटी का जाल
जेलेंस्की सैद्धांतिक रूप से चुनावों के खिलाफ नहीं हैं और उन्होंने इस बात पर सहमति जताई है कि चुनाव सही समय पर होने चाहिए. जेलेंस्की ने दो जनवरी को एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘मार्शल लॉ खत्म हो जाने के बाद गेंद संसद के पाले में होती है - संसद फिर चुनाव की तारीख तय करती है.’’ जेलेंस्की ने चार जनवरी को कहा था कि समस्या समय और परिस्थति की है. उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध के दौरान चुनाव नहीं हो सकते. कानून, संविधान और अन्य चीजों में बदलाव करना जरूरी है. ये महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं, लेकिन कुछ गैर-कानूनी, बहुत मानवीय चुनौतियां भी हैं.’’ यूक्रेन में विपक्षी नेता भी इस बात से सहमत हैं कि चुनाव के लिए अभी उचित समय नहीं है. जेलेंस्की के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पेट्रो पोरोशेंको और विपक्षी गोलोस पार्टी की नेता इना सोवसुन ने युद्धकालीन चुनावों के विचार को खारिज कर दिया है.
अच्छे चुनाव... और बुरे
रूस ने मौजूदा संघर्ष के दौरान बेशक चुनाव कराए, लेकिन अधिकतर पर्यवेक्षकों के अनुसार 2024 का चुनाव न तो स्वतंत्र था और न ही निष्पक्ष. इस चुनाव में पुतिन ने 87 प्रतिशत मतों के साथ जीत हासिल की थी. यूक्रेनी नेताओं ने सार्वजनिक रूप से तर्क दिया है कि युद्ध के दौरान चुनाव कराना यूक्रेनी समाज के लिए अस्थिरता पैदा करेगा तथा रूसी आक्रमण के बीच आंतरिक एकता को कमजोर करेगा.
बाहरी प्रभाव
इसके अलावा, यूक्रेन के चुनाव में बाहरी प्रभाव को लेकर चिंता बनी रहती है. यूक्रेन के लोगों को अपनी राजनीति में रूसी दखलंदाजी की कोशिश का पुराना अनुभव है और वे यह मानकर चलते हैं कि क्रेमलिन हस्तक्षेप का प्रयत्न अवश्य करेगा. असंभव स्थिति चुनाव को बातचीत की एक शर्त के रूप में पेश करके पुतिन यूक्रेन के लिए जाल बिछा रहे हैं. यूक्रेनी संविधान में कहा गया है कि चुनाव तभी हो सकते हैं, जब ‘मार्शल लॉ’ हटा दिया जाए, लेकिन ‘मार्शल लॉ’ को हटाना तभी संभव है, जब युद्ध खत्म हो जाए, यानी युद्ध विराम के बिना कोई चुनाव संभव नहीं है. दूसरी ओर, चुनावों के लिए सहमत न होने पर यूक्रेन को शांति समझौते में बाधा पैदा करने वाले के रूप में पेश किया जा सकता है. अमेरिका ने यूक्रेन सरकार को एक असंभव स्थिति में डाल दिया है: मतदान के लिए सहमत हो जाएं और आंतरिक विभाजन एवं बाहरी हस्तक्षेप का जोखिम उठाएं या इसे अस्वीकार कर दें और रूस, शायद अमेरिका को भी यूक्रेन के नेताओं को अवैध और अपने लोगों की ओर से बातचीत करने में असमर्थ के रूप में पेश करने की अनुमति दें.