देश की खबरें | सूखा प्रबंधन के लिए कर्नाटक की याचिका पर जुलाई में सुनवायी करेगी शीर्ष अदालत

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगा जिसमें सूखा प्रबंधन के लिए राज्य को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से वित्तीय सहायता जारी करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

नयी दिल्ली, छह मई उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर जुलाई में सुनवाई करेगा जिसमें सूखा प्रबंधन के लिए राज्य को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से वित्तीय सहायता जारी करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

केंद्र ने 29 अप्रैल को शीर्ष अदालत को बताया था कि राज्य में सूखा प्रबंधन के लिए कर्नाटक सरकार को लगभग 3,400 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

यह मामला सोमवार को न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।

कर्नाटक सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य इस मामले में एक हलफनामा दायर करेगा। पीठ ने मामले की सुनवायी जुलाई में करना निर्धारित किया।

पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान सिब्बल ने पीठ को बताया था कि 3,450 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं लेकिन राज्य का अनुरोध 18,000 करोड़ रुपये की सहायता का था।

याचिका में यह भी घोषित करने का अनुरोध किया गया है कि एनडीआरएफ के तहत सूखे की व्यवस्था के लिए वित्तीय सहायता जारी नहीं करने का केंद्र का कदम संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत राज्य के लोगों के लिए गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का ‘प्रथम दृष्टया उल्लंघन’ है।

इसमें कहा गया है कि राज्य "गंभीर सूखे" से जूझ रहा है, जिससे लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है और खरीफ 2023 सीजन के लिए, जो जून में शुरू होता है और सितंबर में समाप्त होता है, 236 तालुकों में से कुल 223 को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि 196 तालुकों को गंभीर रूप से प्रभावित और शेष 27 को मध्यम रूप से प्रभावित के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

वकील डी एल चिदानंद के जरिये दायर याचिका में कहा गया है, "खरीफ 2023 सीजन के लिए संचयी रूप से, 48 लाख हेक्टेयर से अधिक में कृषि और बागवानी फसल के नुकसान की सूचना मिली है, जिसमें 35,162 करोड़ रुपये (खेती की लागत) का अनुमानित नुकसान हुआ है।"

इसमें कहा गया है कि एनडीआरएफ के तहत केंद्र से मांगी गई सहायता 18,171.44 करोड़ रुपये है।

इसमें कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत और 2020 में अद्यतन सूखा प्रबंधन नियमावली के खिलाफ कर्नाटक को सूखा प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता देने से इनकार करने के केंद्र के "मनमाने कदम" के खिलाफ राज्य शीर्ष अदालत में जाने के लिए बाध्य है।

याचिका में कहा गया, ‘‘इसके अलावा, केंद्र सरकार का कृत्य आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की वैधानिक योजना, सूखा प्रबंधन के लिए नियमावली और राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष के गठन और प्रशासन पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।"

इसमें कहा गया है कि सूखा प्रबंधन के लिए नियमावली के तहत, केंद्र को अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) की प्राप्ति के एक महीने के भीतर एनडीआरएफ से राज्य को सहायता पर अंतिम निर्णय लेना होगा।

याचिका में कहा गया है, ‘‘आईएमसीटी की रिपोर्ट के बावजूद, जिसने 4 से 9 अक्टूबर, 2023 तक विभिन्न सूखा प्रभावित जिलों का दौरा किया और राज्य में सूखे की स्थिति का व्यापक मूल्यांकन किया… आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 9 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की उप-समिति द्वारा उक्त रिपोर्ट पर विचार करने के बावजूद केंद्र ने उक्त रिपोर्ट की तारीख से लगभग छह महीने बीत जाने के बाद भी एनडीआरएफ से राज्य को सहायता पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है।’’

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