देश की खबरें | ताकीदों का पालन न करने से उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से नाराज शीर्ष अदालत
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सोच के तौर-तरीकों पर सोमवार को चिंता व्यक्त की और इसे न्यायपालिका की छवि गिराने का प्रयास करार दिया।
नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सोच के तौर-तरीकों पर सोमवार को चिंता व्यक्त की और इसे न्यायपालिका की छवि गिराने का प्रयास करार दिया।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है। न्यायालय ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि उसके बार-बार ताकीद करने का उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, साथ ही इसके निर्णयों की लगातार अनदेखी की जाती है।
न्यायालय ने कहा कि इसका नतीजा यह हुआ है कि विपरीत परिस्थितियों में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के काम करने के बावजूद कुछ न्यायाधीशों की वजह से न्यायिक प्रणाली बदनाम हो रही है। ऐसे लोग सम्पूर्ण न्यायपालिका की खराब छवि प्रस्तुत कर रहे हैं।
पीठ ने कहा, "हाल के दिनों में, एक से अधिक अवसरों पर, इस न्यायालय ने देश भर के विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के व्यवहार और विचार पैटर्न को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की है। ऐसे व्यवहार से सामान्य रूप से न्यायपालिका और विशेष रूप से उच्च न्यायालयों की छवि खराब हुई है।’’
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि किसी न्यायाधीश का निर्धारित मानकों से विचलित होना उसके द्वारा राष्ट्र के भरोसे का कत्ल करने के समान होगा।
शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गुजरात उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने एक मार्च, 2023 को वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश नहीं सुनाया था और उच्च न्यायालय के आईटी सेल ने याचिकाकर्ता को एक साल बाद 30 अप्रैल, 2024 को तर्कपूर्ण आदेश की ‘सॉफ्ट कॉपी’ दी थी।
पीठ ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मामले में कानून का घोर उल्लंघन किया है।
शीर्ष अदालत ने कहा, "समाज उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश से अपेक्षा करता है कि वह सत्यनिष्ठा का आदर्श हो, निर्विवाद निष्ठा और अडिग सिद्धांतों का प्रतीक हो, नैतिक उत्कृष्टता का समर्थक हो और व्यावसायिकता का प्रतीक हो, जो न्याय की गारंटी देते हुए लगातार उच्च गुणवत्ता वाला काम कर सके।"
हालांकि, संबंधित न्यायाधीश के प्रति नरम रुख अपनाते हुए पीठ ने अपीलकर्ता की याचिका को पुनर्जीवित किया और इसे उच्च न्यायालय की फाइल में बहाल कर दिया।
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