नदियों के किनारे प्लास्टिक फेंकने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है: सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि प्लास्टिक को यत्र-तत्र फेंकने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है और देश में नदी तटों और जलाशयों में जलीय जीवन पर भी असर पड़ रहा है.
नयी दिल्ली, छह अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि प्लास्टिक को यत्र-तत्र फेंकने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है और देश में नदी तटों और जलाशयों में जलीय जीवन पर भी असर पड़ रहा है. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों को लोगों के सहयोग से सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है. प्लास्टिक की बोतल का पानी बढ़ा सकता है आपका ब्लड प्रेशर, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा.
पीठ ने कहा, ‘‘प्लास्टिक को यत्र-तत्र फेंकने से पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंच रही है और देश में नदी तटों तथा जलाशयों में जलीय जीवन पर भी इसका असर पड़ रहा है. जब तक जिम्मेदार अधिकारी लोगों के सहयोग से ठोस प्रयास नहीं करेंगे, चाहे अवैध निर्माणों को रोकने के लिए कितने भी प्रयास क्यों न किए जाएं, देश में गंगा समेत अन्य सभी नदियों तथा जलाशयों में जल की गुणवत्ता में वांछित सुधार अधूरा ही रहेगा.’’
शीर्ष अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को इस मुद्दे पर चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. पीठ ने बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने वाले अपने पहले के आदेश को भी स्पष्ट किया कि पटना शहर में और उसके आसपास विशेष रूप से गंगा नदी के किनारे कोई भी अवैध निर्माण या अनधिकृत अतिक्रमण न हो.
शीर्ष अदालत पटना निवासी अशोक कुमार सिन्हा द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के 30 जून, 2020 के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील डूब क्षेत्रों में अवैध निर्माण और स्थायी अतिक्रमण के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी.
अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया, ‘‘गंगा के डूब क्षेत्र में अवैध और अनधिकृत निर्माण तथा स्थायी अतिक्रमण के कारण भारी मात्रा में कचरा तथा सीवेज उत्पन्न हो रहा है.’’
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