उत्तरकाशी, 26 दिसंबर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की गंगा और यमुना घाटी के विभिन्न क्षेत्रों के जंगलों में बीते एक हफ्ते से धधक रही आग अब कुछ शांत पड़ने लगी है ।
जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला के निर्देश के बाद वन एवं पुलिस विभाग की शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के बाद जंगलों की आग कुछ शांत हुई है।
जिले में अब तक तापमान बढ़ने के समय 'फायर सीजन' में ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं दिखाई देती थी लेकिन अब सर्दियों में भी जंगल में आगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं ।
सोमवार को सिलक्यारा के पास राड़ी टॉप के जंगलों में भीषण आग लग गई जिससे उपरी यमुना वन प्रभाग के पलेठा, बगासू और मोल्डा गांव के जंगल धधकने लगे । इसके अलावा डुंडा, मुखेम रेंज और भटवाड़ी के आसपास भी जंगल जलने लगे जिसे बुझाने के लिए राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की एक टीम वन विभाग की मदद से आग बुझाने मौके पर पहुंची है ।
उत्तरकाशी के प्रभागीय वन अधिकारी डीपी बलूनी ने बताया कि लंबे समय से बारिश न होने और असामाजिक तत्वों के नई घास के लिए जंगल में पड़े पिरूल में आग लगाने से वनाग्नि की समस्या बढ़ी है ।
उन्होंने बताया कि वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों में 100 से अधिक लोगो को टीमें बनाकर भेजी गयी हैं जिससे आग पर काबू पाया जा सके ।
जिलाधिकारी रूहेला ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में वन विभाग को आदेश जारी किए हैं कि जिन वन क्षेत्रों में आग लगी मिलती है, तो उससे लगे गांवों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए ।
उत्तरकाशी जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ.प्रेम पोखरियाल ने बताया कि वनाग्नि के कारण फैली धुंध से श्वांस और दमा रोगियों को घुटन हो सकती है जबकि आंखों में जलन और खांसी की समस्या भी बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा कि धुंध से बचाव के लिए मास्क का प्रयोग करें और घरों की खिड़कियां बंद रखें। इसके अलावा उन्होंने दोपहिया वाहन चालकों को चश्मे का प्रयोग करने की भी सलाह दी ।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)