देश की खबरें | यमुना में जलस्तर खतरे के निशान के नीचे पहुंचा

नयी दिल्ली, 20 जुलाई दिल्ली में यमुना का जलस्तर बृहस्पतिवार को सुबह 205.33 मीटर के खतरे के निशान से नीचे पहुंच गया और धीरे धीरे ही सही लेकिन जलस्तर के और घटने की उम्मीद है। हालांकि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है।

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के मुताबिक, सुबह 10 बजे जलस्तर 205.25 मीटर तक पहुंच गया। पिछले दो-तीन दिनों से जलस्तर में मामूली उतार-चढ़ाव देखा गया है।

पिछले बृहस्पतिवार को 208.66 मीटर के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद यमुना में जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है।

आठ दिनों तक खतरे के निशान के ऊपर बहने के बाद मंगलवार की रात आठ बजे तक जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर से नीचे आ गया। बुधवार को सुबह पांच बजे यह घटकर 205.22 मीटर रह गया, लेकिन इसके बाद यह फिर से बढ़ने लगा और खतरे के निशान को पार कर गया।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 22 जुलाई तक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी है।

भारी बारिश होने की स्थिति में दिल्ली की नदियों में जलस्तर में वृद्धि से राष्ट्रीय राजधानी के बाढ़ग्रस्त निचले इलाकों में प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की गति धीमी हो सकती है और उन्हें लंबे समय तक राहत शिविरों में रहना पड़ सकता है।

इसका असर पानी की आपूर्ति पर भी पड़ सकता है, जो वजीराबाद में एक पंप हाउस में पानी भर जाने के कारण चार से पांच दिनों तक प्रभावित रहने के बाद मंगलवार को ही सामान्य हो पाई।

यह पंप हाउस वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जल शोधन संयंत्रों को अशोधित जल की आपूर्ति करता है, जो शहर की आपूर्ति का लगभग 25 प्रतिशत है।

ओखला संयंत्र में शुक्रवार को, चंद्रावल में रविवार को और वजीराबाद में मंगलवार को परिचालन शुरू हुआ।

दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के एक अधिकारी ने मंगलवार शाम को कहा, ‘‘पल्ला डूब क्षेत्र में कुछ ट्यूबवेल बाढ़ के कारण जलमग्न हो गए हैं जिसकी वजह से प्रतिदिन 10-12 मिलियन गैलन पानी (एमजीडी) की कमी हो रही है।’’

पल्ला क्षेत्र में जो ट्यूबवेल हैं उनसे डीजेबी लगभग 30 एमजीडी पानी निकालता है।

मूसलाधार बारिश के बाद दिल्ली के कई इलाके एक सप्ताह से भी अधिक समय से जलजमाव एवं बाढ़ की समस्या से जूझ रहे हैं। शुरुआत में आठ जुलाई और नौ जुलाई को भारी बारिश के कारण जबरदस्त जलजमाव हुआ और सिर्फ दो दिन में शहर को इसके महीने भर की वर्षा के कोटे का 125 प्रतिशत प्राप्त हो गया।

इसके बाद हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा सहित यमुना के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदी के जलस्तर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।

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