लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन देने के आदेश के खिलाफ कपड़ा कंपनी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया

कपड़ा निर्माण एवं निर्यात कंपनी नागरीका एक्सपोर्ट लिमिटेड की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से काम बंद है और याचिका दायर किए जाने तक डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

जमात

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर एक सरकारी आदेश को रद्द करने की मांग की गई है जिसमें लॉकडाउन के दौरान नियोक्ताओं से स्थायी, अनुबंधित एवं अस्थायी कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के लिए कहा गया है।

कपड़ा निर्माण एवं निर्यात कंपनी नागरीका एक्सपोर्ट लिमिटेड की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से काम बंद है और याचिका दायर किए जाने तक डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘साथ ही 29 मार्च 2020 और 31 मार्च 2020 के आदेशों के मुताबिक याचिकाकर्ता को पेरोल के सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन देना होगा जो करीब पौने दो करोड़ रुपये बनता है।’’

याचिका में गृह मंत्रालय की तरफ से 29 मार्च 2020 को जारी सरकारी आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी गई है।

इसने इसके बाद 31 मार्च 2020 को महाराष्ट्र सरकार की ओर से जारी आदेश को भी चुनौती दी है जिसमें नियोक्ता को लॉकडाउन के दौरान अपने सभी स्थायी, अनुबंधित और अस्थायी कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के लिए कहा गया है।

याचिका में यह भी जानने का प्रयास किया गया कि क्या केंद्र और महाराष्ट्र सरकार के पास यह निर्देश जारी करने की शक्ति है कि वह आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत सौ फीसदी वेतन देने का फरमान जारी करे।

याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिका लंबित रहने तक याचिकाकर्ता को अपने कर्मचारियों को केवल 50 फीसदी वेतन का भुगतान करने की अनुमति दी जाए।

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