अफगानिस्तान (Afghanistan) से निकलना चाह रहे लोगों की मदद करने के लिए अमेरिका पर बढ़ते दबाव के बीच, ये विमान वहां से उड़ान क्यों नहीं भर पा रहे हैं इस बारे में तरह-तरह की बातें हो रही हैं. उत्तरी शहर मजार ए शरीफ के हवाईअड्डे पर एक अफगान अधिकारी ने बताया कि विमानों में सवार लोग अफगानिस्तान के होंगे, जिनमें से ज्यादातर के पास पासपोर्ट और वीजा नहीं है इसलिए वे देश से निकल नहीं पा रहे हैं. अब इस स्थिति का हल निकलने के इंतजार में वे हवाईअड्डे से होटल चले गए हैं. यह भी पढ़े: Afghanistan: तालिबानी आतंकियों ने गर्भवती महिला पुलिस अफसर की रिश्तेदारों के सामने गोली मारकर हत्या की
हालांकि अमेरिका (America) में संसद की विदेश मामलों की समिति में एक शीर्ष रिपब्लिकन सदस्य ने कहा कि समूह में अमेरिकी शामिल हैं और वे विमानों में बैठे हुए हैं, लेकिन तालिबान उन्हें उड़ान नहीं भरने दे रहा और उन्हें ‘बंधक बना रखा है’’. उन्होंने यह नहीं बताया कि यह सूचना कहां से आई. इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है. अफगानिस्तान में अमेरिका की करीब 20 साल की जंग के आखिरी दिनों में काबुल हवाईअड्डे से अफरा-तफरी के बीच हजारों लोगों को निकाला गया जिनमें अमेरिकी और सहयोगी देशों के नागरिक शामिल रहे. 30 अगस्त को अमेरिका के आखिरी सैनिक वहां से निकले लेकिन अब भी काफी लोग रह गये जो निकलना चाह रहे हैं. अमेरिका ने अफगानिस्तान से निकलना चाह रहे लोगों की मदद के लिए नए तालिबान शासकों के साथ काम करते रहने का वादा किया है. वहीं तालिबान ने संकल्प जताया है कि उचित दस्तावेज रखने वालों को जाने दिया जाएगा. लेकिन टेक्सास के रिपब्लिकन सांसद माइकल मैककॉल ने ‘फॉक्स न्यूज सन्डे’ से कहा कि छह विमानों में अमेरिकी नागरिकों तथा अफगान दुभाषियों को रखा गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान उन्हें हवाईअड्डे से निकलने नहीं देगा. वे ज्यादा से ज्यादा चीजों की मांग करते रहेंगे, चाहे नकदी हो या अफगानिस्तान की सरकार के रूप में और मान्यताएं हों. ’’वहीं अफगान अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं होने के अनुरोध के साथ कहा कि चार विमान हैं और उनमें जाना चाह रहे लोग होटलों में ठहरे हैं. अधिकारी इस बारे में मशक्कत कर रहे हैं कि वे देश छोड़कर जा सकते हैं या नहीं. उन्होंने संकेत दिया कि समस्या यह आ रही है कि कई लोगों के पास सही यात्रा दस्तावेज नहीं हैं. मजार ए शरीफ के निवासियों ने भी कहा कि यात्री इस समय हवाईअड्डे पर नहीं हैं. उन्होंने बताया कि एक स्थानीय होटल के प्रतीक्षा कक्ष में कम से कम 10 परिवारों को देखा गया. उनमें से किसी के पास पासपोर्ट या वीजा नहीं हैं, हालांकि उन्होंने अमेरिकी या जर्मन सेना के साथ जुड़ी कंपनियों के लिए काम किया था.
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