चीनी के साथ अब हरित ईंधन का स्रोत बन रहीं प्रदेश की चीनी मिलें: मुख्यमंत्री आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में चीनी उद्योग की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा है कि देश में सर्वाधिक गन्ना और चीनी उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें आज प्रधानमंत्री की नीतियों को अपनाते हुए सबसे ज्यादा एथनॉल उत्पादन कर हरित ऊर्जा के स्रोत के रूप में पहचानी जा रही हैं.

Yogi Adityanath (Photo: ANI)

लखनऊ, 17 फरवरी : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने प्रदेश में चीनी उद्योग की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा है कि देश में सर्वाधिक गन्ना और चीनी उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें आज प्रधानमंत्री की नीतियों को अपनाते हुए सबसे ज्यादा एथनॉल उत्पादन कर हरित ऊर्जा के स्रोत के रूप में पहचानी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि यह बदलाव हमारे किसानों की आय में वृद्धि और जीवन में समृद्धि लाने वाली है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते छह वर्षों में प्रदेश की चीनी मिलों ने आधुनिकता की जो राह पकड़ी है, उससे आज उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें, एक सामान्य चीनी उत्पादन करने वाली मिल से आगे बढ़कर 'शुगर कॉम्प्लेक्स' के रूप में उभरी हैं. उन्होंने कहा कि एक ही परिसर में चीनी भी बन रहा है. ऑक्सीजन संयंत्र और एथनॉल संयंत्र भी हैं.

प्रदेश में चीनी उद्योग के 120 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि 120 वर्ष पहले किसानों के हित को ध्यान में रखकर प्रदेश में पहला चीनी मिल तत्कालीन गोरखपुर जिले के देवरिया (प्रतापपुर) में स्थापित किया गया था. उन्होंने कहा कि हालिया कुछ दशकों में जिस तरह चीनी मिलें बंद होती जा रहीं थीं, किसान हताश और परेशान थे, पलायन को मजबूर थे, उसने चीनी उद्योग के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया था; लेकिन 2017 के बाद परिवेश बदला.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चीनी मिलों से संवाद कर तय हुआ कि जब तक किसान का गन्ना खेत में होगा, चीनी मिलें गन्ना खरीद जारी रखेंगी और यह सुखद है कि मिलों ने ऐसा ही किया. यह भी पढ़ें : राजस्थान के अस्पताल में टीएवीआई प्रक्रिया से पाकिस्तानी व्यक्ति को मिला नया जीवन

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते छह वर्ष में ‘डबल इंजन’ सरकार में गन्ना किसानों को एक लाख 97 हजार करोड़ रुपये का भुगतान डीबीटी के (सीधे गन्ना किसानों के खाते में) माध्यम से किया गया. जल्द ही यह दो लाख करोड़ रुपये हो जाएगा. उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में 100 चीनी मिलें ऐसी हैं, जो खरीद के 10 दिन के भीतर किसान का भुगतान कर दे रही हैं. यह बड़ा बदलाव है, शेष मिलों को भी ऐसे ही प्रयास करना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गन्ना पर्ची की समस्या नहीं है, घटतौली की शिकायतें समाप्त हो गई हैं तो गन्ना किसानों की संख्या 45 लाख से 60 लाख हो गई. गन्ने का उत्पादन भी बढ़ा है और रकबा भी. यही नहीं रिकवरी भी 11 प्रतिशत से अधिक हो रही है. चीनी मिल मालिकों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने कहा कि चीनी उद्योग और सरकार के बीच गन्ना किसान है. मिलों को अपनी नीतियों के केंद्र में किसानों को रखना चाहिये.

कोरोना काल की चुनौतियों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने उस दौरान चीनी उद्योग के योगदान की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि पूरे देश में उद्योग बंद थे लेकिन उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें चल रही थीं और चीनी मिलों के सहयोग से सेनिटाइजर का रिकॉर्ड उत्पादन करते हुये 23 राज्यों में सेनिटाइजर भी उपलब्ध कराया गया. चीनी मिलों ने ऑक्सीजन संयंत्र भी लगाए. संकट के समय एकजुट होकर काम किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री द्वारा चीनी उद्योग के 120 वर्ष के गौरवमयी यात्रा पर आधारित कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया गया. साथ ही प्रदेश के चीनी उद्योग को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली विभूतियों को सम्मानित किया गया.

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