ताजा खबरें | राज्यसभा में 12 सदस्यों के निलंबन वापसी को लेकर गतिरोध कायम, कार्यवाही रही बाधित

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में बुधवार को भी 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन को वापस लेने के मुद्दे पर गतिरोध कायम रहा क्योंकि सत्ता पक्ष इस बात पर अड़ा है कि इन सदस्यों को माफी मांगनी चाहिए जबकि इन सदस्यों के निलंबन की वापसी की मांग को लेकर विपक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही को बाधित करना जारी रहा।

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर राज्यसभा में बुधवार को भी 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन को वापस लेने के मुद्दे पर गतिरोध कायम रहा क्योंकि सत्ता पक्ष इस बात पर अड़ा है कि इन सदस्यों को माफी मांगनी चाहिए जबकि इन सदस्यों के निलंबन की वापसी की मांग को लेकर विपक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही को बाधित करना जारी रहा।

हंगामे के कारण सदन की बैठक तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न तीन बज कर 40 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।

आज उच्च सदन में शून्यकाल नहीं हो सका और कार्यवाही आरंभ होने के पांच मिनट बाद ही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी।

सुबह बैठक शुरू होने पर कांग्रेस के आनंद शर्मा ने विपक्षी सदस्यों के निलंबन का मुद्दा उठाना चाहा। इसी दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने लखीमपुर खीरी हिंसा और इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट का मुद्दा भी उठाने की कोशिश की।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्हें इस संदर्भ में कोई नोटिस नहीं मिला है। इसके बाद नायडू ने शून्यकाल शुरू कराया और बीजू जनता दल (बीजद) के सस्मित पात्रा को उनका मुद्दा उठाने के लिए कहा। इसी बीच, कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कथित अशोभनीय आचरण के लिए शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए 12 सांसदों का निलंबन रद्द करने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

सभापति ने सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों से शांत रहने और शून्यकाल चलने देने की अपील की। इसी बीच, हंगामा कर रहे कुछ विपक्षी सदस्य आसन के निकट आ गए और नारेबाजी करने लगे।

सभापति नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बार-बार अपने स्थानों पर लौटने तथा सदन की कार्यवाही बाधित नहीं करने की अपील की।

नायडू ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आप (विपक्षी सदस्य) तय करके आए हैं कि सदन को चलने नहीं देना है और सदन के अन्य सदस्यों को उनके अधिकारों से वंचित करना है। यह स्पष्ट है।’’

अपनी अपील का कोई असर नहीं होते देख नायडू ने 11 बज कर पांच मिनट पर सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इसके बाद दोपहर 12 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने व्यवस्था का सवाल उठाते हुए आसन से पूछा कि उन्होंने सदस्यों का निलंबन का फैसला रद्द करने संबंधी एक नोटिस दिया है। इस क्रम में उन्होंने कुछ पूर्ववर्ती घटनाओं का भी उल्लेख किया।

इस पर उपसभापति हरिवंश ने व्यवस्था देते हुए कहा कि उनका नोटिस स्वीकार करने योग्य नहीं है और बगैर सभापति की अनुमति के वह इस प्रकार के नोटिस नहीं दे सकते हैं।

इसके बाद उपसभापति ने प्रश्नकाल आरंभ कराया और केंद्रीय मंत्रियों गिरिराज सिंह एवं नितिन गड़करी ने हंगामे और शोरगुल के बीच कुछ पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए।

उपसभापति ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘‘आप प्रश्नकाल चलने देना नहीं चाहते हैं। जवाब तैयार करने में मेहनत करनी होती है...उसमें पैसे खर्च होते हैं। आप दूसरों की स्वतंत्रता का अतिक्रमण ना करें। आसन के निकट आना, नारेबाजी करना और तख्तियां लहराना बिल्कुल अनुचित है और संसदीय परंपराओं के खिलाफ है।’’

इसके बाद भी जब हंगामा नहीं थमा तो उन्होंने 12 बजकर 28 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

दो बजे बैठक शुरू होने पर उप सभापति हरिवंश ने तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव का नाम देश में ओमीक्रोन स्वरूप के मामलों के कारण उत्पन्न स्थिति पर अल्पकालिक चर्चा शुरू करने के लिए पुकारा। सुष्मिता ने कहा कि ओमीक्रोन का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है किंतु निलंबित किए गये 12 सदस्यों का मुद्दा भी लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्यक है। किंतु आसन ने उन्हें यह विषय उठाने की अनुमति नहीं दी।

इसी बीच विपक्ष के कुछ सदस्यों ने आसन का ध्यान इस ओर दिलाया कि सदन में कोई कैबिनेट मंत्री नहीं हैं। संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि कैबिनेट मंत्री रास्ते में हैं और वह सदन में आने ही वाले हैं।

इसके बाद उपसभापति ने बैठक को पंद्रह मिनट के लिए स्थगित कर दिया।

बैठक फिर शुरू होने पर विपक्ष की ओर से निलंबित सदस्यों का मुद्दों पुन: उठाये जाने पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि वह विपक्ष की भावनाओं का सम्मान करते हैं किंतु उन्हें यह भी देखना चाहिए कि सदन में कैसे महिला मार्शल का अपमान किया गया, पुरूष मार्शल पर कैसे हमला किया गया।

गोयल ने कहा कि राज्यसभा के कर्मी पूरे सदन की सहायता करते हैं? उन्होंने कहा कि कम से कम माफी मांग कर उन्हें (विपक्ष को) इन कर्मियों के प्रति न्यूनतम शिष्टता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर को जहां सदन ने अपने प्राणों का बलिदान करने वाले सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी वहीं क्या सदन में इन कर्मियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाना उचित है?

उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष के वरिष्ठ नेता अपने सहयोगियों के कृत्य पर पश्चाताप करने के लिए तैयार नहीं हैं।’’

गोयल की बात का प्रतिवाद करते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘हमने जो गुनाह नहीं किया, आपने (सदन के नेता ने) उसका गुनाह हम (विपक्ष) पर लगा दिया।’’

इसके बाद हंगामे के बीच ही पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने ओमीक्रोन स्वरूप के मामलों के मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा शुरू करवाई जिसमें कई सदस्यों ने भाग लिया।

इस बीच विपक्ष के कई सदस्य आसन के समक्ष नारेबाजी कर रहे थे और कुछ सदस्यों के हाथों में नारे लिखी तख्तियां भी थीं।

चर्चा के दौरान हंगामा कर रहे सदस्यों से पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने उनके स्थानों पर लौट जाने और चर्चा में हिस्सा लेने की अपील की।

हंगामे के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा ‘‘कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन के संबंध में अल्पकालिक चर्चा के लिए नोटिस विपक्षी सदस्यों ने दिया था। उनके अनुरोध पर इस चर्चा की अनुमति दी गई थी। लेकिन इतनी महत्वपूर्ण चर्चा पर विपक्षी सदस्य हिस्सा नहीं ले रहे हैं। इससे पहले, सुबह न शून्यकाल चलने दिया गया और न ही प्रश्नकाल चलने दिया गया।’’

उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने वादा किया था कि वे चर्चा में हिस्सा लेंगे। उन्होंने विपक्षी सदस्यों पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया।

विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि 12 सदस्यों का निलंबन रद्द किया जाए। इस पर जोशी ने कहा ‘‘हमने बार बार कहा है कि सदस्य अपने आचरण के लिए माफी मांग लें, तो उनका निलंबन रद्द करने पर विचार किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान जो कुछ किया गया, वह उचित नहीं था।

जोशी ने कहा ‘‘मैं विपक्षी सदस्यों से एक बार फिर अनुरोध करता हूं कि वे चर्चा में हिस्सा लें।’’

तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि सदस्यों से चर्चा में हिस्सा लेने के लिए आसन की ओर से कहा जाना चाहिए, मंत्री की ओर से नहीं। इस पर जोशी ने कहा कि उन्होंने सदस्यों से चर्चा में भाग लेने के लिए अनुरोध ही किया है।

पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने और चर्चा को आगे बढ़ाने की अपील की लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने अपराह्न तीन बज कर 20 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

माधव

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