देश की खबरें | देश में 2015 से क्षयरोग कम होने की दर दोगुनी हुई : नड्डा
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चंडीगढ़/नयी दिल्ली, सात दिसंबर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने क्षय रोग (टीबी) के मामलों और इसके कारण होने वाली मृत्यु की दर में कमी लाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान का शनिवार को हरियाणा के पंचकूला में उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत में इस रोग के मामलों में कमी आने की दर 2015 से दोगुनी हो गई है और यह वैश्विक औसत से अधिक है।
कुल 100 दिवसीय क्षयरोग उन्मूलन अभियान उन 33 राज्यों के 347 जिलों में चलाया जाएगा, जहां इस बीमारी का प्रकोप अधिक है। अभियान का उद्देश्य रोग की पहचान को बढ़ाना, निदान में होने वाली देरी को कम करना और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाना है।
नड्डा ने कहा, ‘‘इस कार्यक्रम के तहत हमने रोग की पहचान, जांच, उपचार और सहायक रणनीतियों को त्वरित गति से आगे बढ़ाया है। मुझे लगता है कि यह 100 दिवसीय कार्यक्रम ‘टीबी मुक्त भारत’ बनाने में मील का पत्थर साबित होगा और इसका दूरगामी प्रभाव होगा।’’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्षय रोग के खिलाफ देश के लंबे संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक समय में टीबी को ‘धीमी मौत’ माना जाता था।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि टीबी से पीड़ित परिवार के सदस्यों को भी अलग रखा जाता था ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके। वर्ष 1962 से क्षय रोग के खिलाफ कई अभियान चलाए गए हैं, लेकिन 2018 में प्रधानमंत्री ने सतत विकास लक्ष्यों की 2030 की समय सीमा से बहुत पहले टीबी को खत्म करने का दृष्टिकोण पेश किया।’’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘हमने लक्ष्य हासिल करने के लिए रणनीतियों में बदलाव किया। सेवाओं का विकेंद्रीकरण किया गया है और अब 1,73,000 एएएम (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) में क्षय रोग के मामलों का पता लगाने और उनका इलाज करने की सुविधाएं होंगी।’’
नड्डा ने कहा कि 2014 में टीबी का पता लगाने के लिए 120 प्रयोगशालाएं थीं और अब उनकी संख्या बढ़कर 8,293 तक पहुंच गई है।
उन्होंने बताया कि भारत में टीबी के मामलों में कमी की दर 2015 में 8.3 प्रतिशत से बढ़कर अब 17.7 प्रतिशत हो गई है जो वैश्विक औसत से काफी अधिक है।
उन्होंने बताया कि पिछले 10 साल में भारत में टीबी के कारण होने वाली मौतों में भी 21.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है।
मंत्री ने कहा, ‘‘1.17 करोड़ से अधिक टीबी रोगियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 3,338 करोड़ रुपये की नि-क्षय सहायता प्रदान की गई है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने हाल में नि-क्षय पोषण राशि को 500 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दिया है।
उन्होंने कहा कि नि-क्षय पोषण न केवल एक नीतिगत निर्णय है, बल्कि यह टीबी को खत्म करने को लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र के लोगों के लिए एक आर्थिक प्रतिबद्धता भी है।
नड्डा ने कहा कि सरकार ने अब निजी चिकित्सकों के लिए अनिवार्य कर दिया है कि वे टीबी के किसी नए मामले का पता चलने पर इसकी सूचना दें ताकि उनके उपचार पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘यह देखने में एक छोटा कदम लग सकता है, लेकिन इससे निजी क्षेत्र में टीबी की सूचना की दर में आठ गुना वृद्धि हुई है।’’
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